Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ 64 ] बाडमैर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख श्रीपादीश्वर भगवान का मन्दिर है / यहाँ पर एक चरण-पादुका पर इस जिले का सबसे प्राचीन जैन लेख अंकित है। (276) 1. श्रीमूलनायकजी आदिनाथजी प्रतिमा लेखः___स. 1910 सावरण प्रथम मासोत्तममासे 5 गुरुवार श्रीऋषबदेजी - (280) (280) . .. 2. मन्दिर में शिलाले . ॥श्रीआदिनाथ:खर कर्मजाल हन्तार को दुस्तर संकट छ:सुरेन्द्र भू भृजण संस्तुताने पायाद्मवात्तव मतं शिष्ठ रक्तमान / सीहाणी पूरे श्रीवृद्धिचन्द तशिष्यकर्पूरविजय तशिष्य धन्य विजयोन सदुपदेशेन तत्रस्य संघ कारापित चैत्ये श्रीपादिनाथ प्रतिमा सं. 1977 ज्येष्ठ सुद 5 तिथौ शनो श्रेयोनिमित्तं स्व-परहिताय प्रतिष्ठापिता पुनस्तत्र धर्मशाला कारितिति / / इष्टदेवाय नम / / (281) 3. पंच धातु प्रतिमा लेख:... संवत 1438 वर्षे असाढ सुदि / शुक्रे माह वाशव्यःसांडा भार्या संसारदे भा. सूमलदेसुतसहितेन सामलपितृश्रेयार्थ महिपाल श्रीपार्श्वनाबिंब कारितं आगमगच्छ श्रीजयतिलकसूरिउपदेशात / (282) 4. श्याम पाषाण प्रतिमा श्रीमल्लिनाथजी पर लेख:-- संवत 1493 वर्षे फागुण वदि 1 दिने श्रीमल्लिनाथबिंब प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे / (283) 5. चरण-पादुका लेख:-- सं. 1072 वर्षे मिति अषाढ वदि 5 बुधवार श्रीमुनिधर्मसीगणी पादन्यास कारापिता श्रीपतविकरणशिष्य-अमरसी भा. शान्तिदेवीकोटमध्ये। .. . . . . . . .. सिवाना ... .. यह ग्राम इस जिले का प्राचीन गांव है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय है / यहां किला तथा नगर का परकोटा बना हुमा है / इस गांव का इतिहास जितना पुराना है . उतना पुराना कोई मन्दिर या शिलालेख नहीं मिला / इसका कारण मुसलमानों के हमलों के समय