Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ 44 / बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख गेरीकंवर बाई की तरफ से श्रीमद्विजय श्रीप्राचार्य हिमाचलसूरिश्वरजी के शिष्य मुनि श्रीलक्ष्मोविजय की प्रेरणा से कारितं प्राचार्य श्रीकैलाशसागरसूरिश्वरजो प्रतिष्ठितं च शुभंभूयात् श्रीसंघस्य / / . (162) 13. स्वस्ति श्रीवीर सं. 2505 विक्रम सं. 2036 नेमी संवत 30 वर्षे वैशाख शुक्ल 13 तिथौ गुरुवासरे सादड़ीनगरे मुनिश्रीलक्ष्मीविजयस्य सदुपदेशाद् बाड़मेर निवासी श्रेष्ठि श्रीजोरावरमलजी लूणकरणजी जनेता गवरोबाई स्मृत्यार्थ श्रीऋषभदेवजिनबिंबे मिदं कारितं प्रतिष्ठितं च शासनसम्राट् तपागच्छीयाचार्य प्रवर श्रीमद्विजय नेमीलावण्यदक्ष. सूरिश्वराणां पट्टधराचार्य श्रीमदविजयसुशीलसूरिणां / / शुभंभवत श्रीसंघस्य / / ढाणी बाजार जैन-मन्दिर (193) 1. श्रीविमलनाथजी मूलनायकजी प्रतिष्ठा लेखः वि. सं. 2042 ज्येष्ठ शुक्ल 12 बाड़मेर नगरे श्रीविमलनाथ चौमुख मन्दिरे जिनबिंबानी दादा गुरुदेव प्रतिमान, भेरवबिंब यक्ष-यक्षिणी. ज्येष्ठ शुक्ल 10 रात्री शुभलग्ने अंजन कारित / शुभं भवतु श्रीसंघस्य / 194) 2. पंच धातु प्रतिमा लेखः सं 1527 ... भा. साहलदे स. जावदेन भा. मनकु पुत्र....... प्रतिष्ठितं श्रीसोमसुन्दरसूरिशिष्य श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः .12. पचतीर्थी मन्दिर लोलरिया धोरा पर घर मन्दिर खण्डहर के रूप में विद्यमान है / न कोई मूर्ति है और न कोई लेख है / श्री सच्चीया माताजी का मन्दिर, ढाणी बाजार (165) 1. प्रतिष्ठा लेख: श्रीप्रोसियां सच्चीया माता की प्रतिमा संवत् 2034 माह सुदि 11 की साल में शा. भंवरलाल पुत्र रतनलाल मदनलाल रामलाल पवनलाल बेटा पोता जेकचन्द पूनमचंदाणी पड़ाईया की तरफ से विराजमान को /