Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
View full book text
________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख संघकृत महामहोत्सवेन सह श्रीमूलनायक श्रीसुविधिनाथादिजिनबिंबाना प्रतिष्ठिता / श्रीसंघश्रेयार्थे शुभम भूयात / (236) 2. मूलनायक श्रीसूविधिनाथजी लेख: विक्रम सं. 2001 माघसिते 6 भृगुवासरे फोसा मूता सेसमल हजारीमलभ्यां श्रीसुविधिनाथजिनबिंब निर्मापित तदं अजनशलाका गदैया माणकजी सुत परागचन्द्रेण कारिता, श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वर करकमले: श्रीमाहोरनगरे-लि. मुनिनीतिविजयेन / (237) 3. श्रीसुमतिनाथजी लेख:-- विक्रम सं. 2001 माघसिते 6 भृगुवासरे नेनावत हेमाजी सुत कपूरचन्द्रेण श्रीसुमतिनाथ जिनबिम्ब कारित, गदैया मारणकजी सुत परागचन्द्रेण अंजनशलाका कारितं कृता च श्रीविजययतीन्द्रसूरिभि आहोरनगरे राजेन्द्र सं. 39 (238) 4. श्रीसुमतिनाथजी लेखः स. 2001 माघ सुदि 6 भृगौ तलेसरा सोलंकी शा. रामचन्द ताराचन्द्रेण श्रीसुमतिजिनबिंब कारित तद् अंजनशलाका कारिता गदैया मारणकजी परागचन्द्रेन श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वर कर-कमलैः पाहोरनगरे श्रीराजेन्द्रसूरि सं. 36 5. 5. पंच धातु प्रतिमा लेख: // संवत 1952 माघ सुदि 15 श्रीहरजी नगरवास्तव्य शा. धनाजीके श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी करापितं / उद्यापना करापितं श्रीजावालनगरे / प्राग्वाटज्ञातीय सा जला करापितं / प्रतिष्ठितं श्रीविजयराजेन्द्रसूरिभिः। . मेवानगर यह ग्राम बालोतरा से 11 कि. मी. तथा जसोल से 8 कि. मी. पहाड़ों के बीच में पाया हुआ है / प्रसिद्ध जैन तीर्थ नाकोडाजी इसी गांव की सीमा में स्थित है जिनके लेख अलग से नाकोडाजी के नाम से दिये गये हैं। इस गांव का प्राचीन नाम शिलालेखों में वीरमपुर लिखा मिलता