Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 35
________________ बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख श्रीगोड़ीदासजीगणी भ्राता वाचकश्रीश्रीरामसिंघजीगरणी ततशिष्य विद्यमान पंडितप्रवरश्रीदेवीचन्द जो पडितप्रवर श्रीवषताजी पंडित श्रीमारणकचन्दजी पडित महासिंघजी ततशिष्यपडित रूपचन्द पंडित प्रानन्दचन्द पडित सम्भूगम पडित घनरूप चिरू गुलाबचन्द सपरिवार-शिष्य. सहितेन श्रीमहेवादेशे श्रीपाय तखत श्रीजसोल नगरे राठहुड़ रावलजी श्रीभारमलजी तत्पुत्ररावलजीश्रीजेतमालजी ततपुत्र रावलजीश्री. कल्याणमलजी तत्पुत्ररावलजीश्रीप्रतापसिंघजी भ्रात श्रीराज श्रीबाघसिंघजी राजश्री शीवदानसिंघजी राज श्रोसवाईसिंघजी विद्यमान रावलजी श्रीवषतसिंघजी राज श्रीपृथ्वीराजजी राज श्री शेरसिंघजी राज श्रीमालदेजी कुंवरजो श्रीशरतसिंघजो विजयराज्ये महेवचा समस्त सिरदारोंस हितेन श्रीवहतभद्रार्क खरतरगच्छे श्रीसंघ समस्त अग्रदेन नवीन पौषधशाला करापितं श्रीसंघ मोक्ष मुत्ता श्रीढेलरियागोत्रे मुत्ता श्रीगांधीगोत्रे मुत्ता भंसालीगोत्रे श्रीकूकूम चौपड़ागोत्रे गणधर डोसी चौपड़ागोत्रे श्री कांकरियागोत्रे श्रीसंखवालेचागोत्रे गोलेछागोत्रे पारखगोत्रे बजहड़गोत्रे लुरिणयागोत्रे नाहटागोत्रे बाफरणागोत्रे चतुरगोत्रे फोगटगोत्रे समस्त श्रीसंघ आग्रहेन प्रदेवच पंडित वषता पंडित महासिंघ चिरू रूपचन्द प्रानन्द शंभु धनरूपचन्द गुलाबचन्द परिवारसहितेन पौषधशाला करापितं / श्रीरस्तु कल्याणमस्तु श्रीसंघ जयवंता भवंतु / / सलावता इसाक पुत्र करीम मेहमद / अभयराम पौषधशाला प्रादनेन कृत // श्री / / श्री! (61) 2. स्तम्भ लेख: ॥संवत् 1825 वरषे भाद्रवा वदि 6 दिने उपाध्यायजी श्रीताराचंद जी गरिण कक्ष पादिका / / पंडत राजेन करावतं॥ 3. श्वेत पाषाण परिकर पर लेख / यह परिकर खेड़ के भग्न मन्दिर से लाया हुआ प्रतीत होता है / सं. 1243 पोष वदि 1 श्रीभावदेवाचार्यगच्छे श्रीखेटिय ऋषभदेव चैत्ये श्र. धांधल सुतविमलचन्द्रेण भ्रातृ-दासल-थिरदेव-मूलदेव प्रासाणंद पाल्हा सुतमणोहर-सोमदेव-भगिन्यारूपिणी पद्मिन्यादि समस्त कुट म्बसहितेनप्रात्मश्रेयार्थे श्रीशान्तिनाथबिंब कारितं / /

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