Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth

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Page 41
________________ 22 / बाड़मेर जिले के प्राचीन जैन शिलालेख / 1. श्रीमूलनायकजो श्रीशान्तिनाथजी प्रतिमा पर अस्पष्ट लेख. सवत 1652. श्री विजयराजसूरि ....... 2. दादाजी जिनकुशलसूरिजी प्रतिमा लेख // सं. 2001 वेसाख कृष्ण 6 श्रीधोरीमना-संधेन श्रीजिनकुशल.. सूरि मूर्ति-प्रतिष्ठितं / . 3. पंच धातु प्रतिमा लेख-. सं. 1481 वर्षे माघ सुद 10 सोमे उसवालज्ञातीय संघवी झड़सिल प्रार्या सुहवदे तयो पुत्रा दुसल वजो नरोया श्रेयार्थ श्रोविमलनाथबिंब का. श्रीप्रचलगछे श्रीजयकीतिसूरि उपदेशेन प्र. श्रीसूरिभिः 4. पंच धातु प्रतिमा नवीन भाषा गुजराती राँका सेठिया जोधराज प्रतापमलजीयेनि धर्म-पत्नि मीरा बेन, धोरीमना तरफ श्रीदेरासर में सं. 2035 श्री अंजनश्लाका विधि पू. प्रा. वि. कनकप्रभसूरिजी तथा पू. प्रा. वि. भुवनशेख रसूरिजी प्रा. रत्नशेखरे. सूरिजी प्रा. रत्नशेखरसूरिजी निश्रामा झाव नगर मां वि. सं. 2035 माध शुवल 14 ता. 10-2-76 ना शुभ लग्ने कराई छ / . नगर यह ग्राम प्राचीन है। इसका प्राचीन नाम राडधरा नगर था / एक खण्डहर मन्दिर श्रीमहावीरस्वामीजी पर वि. सं. 1280 का लेख है। इतना पुराना और इतना अलंकृत जैन मन्दिर दूसरा कोई नहीं मिला। मन्दिर में गर्भगृह सभामण्डप इत्यादि भव्य व कलात्मक है / मन्दिर प्राधा जमीन में फंस चुका है। पास में नया मन्दिर बनाया गया है / मूलनायकजी श्रीग्रजीतनाथजी हैं। यह ग्राम बालोतरा गुड़ा बस मार्ग पर है। बाड़मेर से भी सिरणदरी होकर जाया जाता है। . (84) .. . * 1. जीर्ण शीर्ण श्रीमहावीरजी मन्दिर पर लेख:-- -- // सवत् 1280 अश्विनि वदि 14 रवि देव श्री.... ......श्रे. जसहरि....... आत्म श्रेयार्थ....... (85) 2. // 60 / / संवत 1516 वर्षे पोस वदि 11 दिने गुरुवारे श्रीराठउड़

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