Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ 20 ] बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख __ इस लेख से मालूम होता है कि कर लगाने में दस ऊंट माल व बीस बैलों पर माल बराबर माना जाता था। कर महाजनों की राय से वसूल किया जाता था / ग्राम जेठन्तरी यह ग्राम बालोतरा समदड़ी बस मार्ग पर पाया हना है / यह ग्राम बाड़मेर जोधपुर रेल मार्ग का भी रेल्वे हाल्ट है। यहाँ पर एक घर मन्दिर है। .... (74) 1. श्रीशीतलनाथजी प्रतिमा.. संवत् 1681 (75) .. 2. पंच धातु प्रतिमा:1: संवत 1536 वर्षे वैशाख सुदि 5 रवि प्राग्वाटज्ञातीय सा. जगमाल भार्या अमरी सुतसोमा भार्या सोभागिरिण आत्मश्रेयार्थ श्रीआदिनाथ बिंब कारितं श्रीवृघतपागच्छे श्रीजिनमारिणक्यसूरिभिः प्रतिष्ठितं / . (76) 3. ताम्रपट्ट चारों ओर लेख (तीर्थ पट्टा) पक्ति (1) // 60 // स्वस्ति श्री संवत 1981 वर्षे श्री स्तंभ तीर्थ नगर वास्तव्य श्री प्रोसवाल ज्ञातीय सा. देवा भार्या देवलेद पुत्र सा. राजा भा. रमादे // पंक्ति (2) पुत्ररत्न सा. हेमा-खीमा-लाखा भा. गोई पुत्ररत्न जयंतपालाकेन भ्रातृ पुत्र सा. जगमाल जिणपाल-महिपाल-उदयकिरण // पंक्ति (३)श्री विद्याधर-रत्नसी-जगसी-पदभसी पुत्री लाली भ. भरघाई प्रमुख समस्त कुटुब युतेन स्व श्रेय से / / श्रीतपागच्छ नामक श्रीश्रीश्री / / पंक्ति (4) हेमविमलसूरिणामुपट्टरान श्रीतीर्थ पितलमयार कारापिताः प. लब्धिश्रुतगणि वारके सा. लाखाकेन कारापिताः / / .. तिलवाड़ा . यह ग्राम बाड़मेर जोधपुर रेल मार्ग पर आया हुआ है / यह लूनी नदी के किनारे बसा हना है / यहाँ पर चैत्र मास में भारत प्रसिद्ध श्रीमल्लिनाथजी का पशु मेला भरता है / यहाँ पर आज कोई जैन बस्ती