Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख 2. देवाचार्यगच्छे श्रीखेट्टिय श्रीमहावीरं मूल चैत्ये 3 श्रे. सहदेवसुतेन सोनिगेन प्रात्मयोंर्थ 4. संभवजुगं प्रदतं / / जना बाहड़मेर. बाड़मेर से दक्षिण पश्चिम में जूना बाहड़मेर प्राया हुप्रा है / 1600 ई. से पहले बाड़मेर के लोग वहीं रहते थे। यह बाड़मेर से लगभग 22 कि. मीटर पर पाया हुया है। बाड़मेर जिले में तीन नगर हैं जहाँ परकोटा व किला बना हया है। इसमें जना बाहड़मेर एक है / बाड़मेर से मुनाबाव जाने वाली गाड़ी से जसाई स्टेशन उतर कर जूना बाहड़मेर जाना पड़ता है। जसाई स्टेशन से लगभग 5 कि. मीटर का रास्ता है। नगर पहाड़ों के बीच में पाया हया है। यहाँ श्री प्रादीश्वर भगवान् का उत्तुंग तोरण मन्दिर आजकल खण्डहररूप में विद्यमान है / गर्भगृह व सभामण्डप की कारीगरी देखने लायक है। सभा मण्डप के स्तम्भ पर वि. सं. 1352 का लेख है वह ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। ... लेख इस प्रकार है- ... 1. श्रीं / / संवत 1352 वैशाख सुदि 4 श्री बाहड़मेरौ महाराज 2. कुल श्रीसामन्तसिंहदेव कल्याण विजयराज्ये तत्रियुक्त 3. श्री 2 करणे वीरासेल वेलाउल भा. मिगल प्रभृतयो 4. धर्माक्षराणी प्रयच्छन्ति यथा श्रीआदिनाथ मध्ये सन्ति 5. ष्ठमान श्रीविघ्नमर्दन क्षेत्रपाल श्री चउण्ड देवाराजयो 6. उभयमार्गीय समायात सार्थ उष्ट्र 10 वष 20 उभयादपि उर्द्ध 7. सार्थ प्रति द्वयोर्देवयोः पाइलापक्षे भीमप्रिय दविंशोंपक 8. अर्दोद्धन ग्रहीतव्या / असो लागो महाजनेन मानितः यथोक्तं ... 6. बहुभिर्व सुधायुभुक्ता राजभिः सगरादिभिः यस्य यस्य यदा भू 10. मी तस्य तस्य तदा फेलं ॥छ।। .." यह लेख इसलिये महत्वपूर्ण है कि इस लेख में जालोर के चौहान राजा सामन्तसिंहदेव का नाम पाया हुआ है। इन्हीं के पुत्र कान्हड़देव 'पर वि.स. 1367 में अलाउद्दीन खिलजी ने हमला किया था। कान्हड़दे प्रबन्ध के अनुसार उस समय सिवाना, बाहड़मेर व सांचौर पर भी हमला किया गया था / उसी समय यह मन्दिर तोड़ा गया होगा।