Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख तपागच्छ मन्दिर की प्रतिष्ठा होनी है-- (57). 7. पादुका लेख-- ' श्रोपावस्य पादुके 1/(58) 8. पच धातु प्रतिमा लेख-- - सं. 1527 मा. व. 7 मउड़ीवासी प्राग्वाट सा. महिपा भा. हर्ष पु. खेताकेन भा. खेतलदे प्रमुख कुटम्बयुतेन श्रीश्रीश्रीप्रादि बिंब का. प्र. तपागच्छेश श्रीरत्न शेख रसूरि-पट्टालकार श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः / , एक खण्डहर मन्दिर लूनी नदी के किनारे बना हुआ है। यह मन्दिर पूर्ण रूप से इटों से बना है / गर्भगृह व आगे चबूतरा ईंटों का बना हुआ है। - ग्राम चौहटन यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय है। बाड़मेर से बस से जुड़ा हुआ है तथा बाड़मेर से दक्षिण-पश्चिम पाया हुआ है / जैन समाज के दो मन्दिर व एक दादावाड़ी है / एक टोले की खुदाई में कुछ मूत्तियें प्राप्त हुई हैं जो सातवीं-आठवीं शताब्दी की हो सकती है। श्री शान्तिनाथजी के शिखरबन्द नवीन मन्दिर व दादावाड़ी की प्रतिष्ठा अभी शेष है। प्राचीन घर मन्दिर श्री पार्श्वनाथजी का है। श्रीमूलनायकजी की श्याम पाषाण प्रतिमा है, लेख कोई नहीं है / / (59) .. ... 1. पंच धातु प्रतिमा लेख-- सं. 1458 वर्षे फागुण वदि 1 शुक्र उपकेशज्ञातीय चांगा सा. रत्नसी भार्या पाकी पुत्र रूपाकेन श्रीशान्तिनाथ-बिंब कारितं प्र. श्रीपल्लिगच्छे श्रीशान्तिसूरिभिः / खुदाई में प्राप्त मूत्तियों का विवरण इस प्रकार है१. श्री महावीर स्वामी जी की श्वेत पाषाण प्रतिमा पद्मासन / करीब एक मीटर। 2. जिन प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा प्र के पास स्त्री-मूर्ति। श्वेत पाषाण / करीब आधा मीटर /