Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख V स्वस्ति श्रीमेहसाणानगरे सं. 2028 वै. सु. 6 गुरुवारे मुनिराज श्रीधरणेन्द्रसागरजी ना उपदेशथी जोधपुर नि. ज्ञानदेवी हुक्मराज करणमलजी मोहनोत श्रीपार्श्वनाथ पचतीर्थी भराव्या छ / तपा प्रा. श्रीकैलाशसागरसूरिने प्रतिष्ठा करी छै / / (43) 3. सती लेख: . संवत्. 1833 वर्षे प्रासोज सुद 13 दिन मा सती रतनां जात चौपड़ा बेटी हरनाथजी जात चोरडीया जयां रे लारे मा सती हुई तोरणां उपरां बैठे बैठे प्रतिमा चढ़ाई तलाई कांठे प्रतिष्ठापितं / '- - : ग्राम खेड़ यह ग्राम बालोतरा स्टेशन से 8 किलोमीटर पर बाड़मेर-जोधपुर लाइन पर रेलवे स्टेशन है। किसी समय बड़ा नगर था तथा मारवाड़ के राठौड़ों की प्रथम राजधानी थी। आज कोई जैन बस्ती या मन्दिर नहीं है परन्तु पुराने मंदिर के अवशेष जसोल से प्राप्त हुए हैं जो यथास्थान उत्कीर्ण हैं / इससे मालूम पड़ता है कि यहाँ पर दो जैन-मन्दिर थे। एक श्री. आदिनाथजी का तथा दूसरा श्रीमहावीर स्वामी का / इसी श्रीऋषभदेव मन्दिर के स्तम्भ का लेख श्रीरणछोड़ रायजी के मन्दिर के परकोटे में लगा हुआ है। .../ (44) 1. श्रीररणछोड़रायजी मन्दिर के परकोटे में लगा लेखः-- ॥श्री खेटयी भावदेवाचार्य गछे श्रीरिषभदेव-चैत्ये....... वीरचन्द देसल पुत्र पालूण बाल पुत्र पूनमचन्द्र नांगदेव नारायणमाणिक पुत्र जिनचन्द्र नेमिचन्द्र पुत्र धनदेव ...... वैद्य जसपाल सिंघल श्रेयार्थ / श्रीरिषभदेव चैत्यै तोरण कारापिता प्रतिष्ठितं श्रीविजयसिंहसूरिभिः // संवत् 1237 आसाढ़ वदि 7.. ग्राम खंडप यह ग्राम मोकलसर पाली बस मार्ग पर पाया हुआ है। यहाँ पर दो जैन मन्दिर हैं। एक में मूलनायक श्रीपार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजलान है तथा दूसरे में मूलनायक श्रीसुब्रतस्वामी विराजमान हैं।