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अपभ्रंश भारती 19
कवियों की रचनाओं में देखा-जाना चाहिए। जिन्होंने साहित्य को सचमुच कूप से बाहर लाने की कोशिश की तथा व्यवहार के धरातल पर मौलिक उद्भावना की शक्ति का बीजारोपण सामान्य जन में किया।"
1. काव्यदर्श - दंडी 2. हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास - डॉ. बच्चन सिंह 3. हिन्दी साहित्य का अद्यतन इतिहास - डॉ. मोहन अवस्थी 4. हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग - डॉ. नामवर सिंह
वरिष्ठ शोध छात्र
हिन्दी भवन विश्वभारती, शांतिनिकेतन 731235 (प. बंगाल) मो. 09832277110
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