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धीरज थंम न डोरि धुनि, समाना आसमान । अटल दुलीचा अलख पद, जहाँ गोरख का दीवान ॥45 ॥
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(ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 )
भोजन-प्रक्रिया का अनेकत्र वर्णन है, जैसे सिद्धों में नौका का दिसण हमारी दीवी पाकै, अगनि बलै मुलतान । ऐसे हम जोगेस्वर नियना, प्रगटा पद निर्वान ।।
अपभ्रंश भारती 19
कहीं-कहीं किसानी का भी अप्रस्तुत मिलता है, जैसे -
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( ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 )
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हाली भीतरि खेत निदांणै, बगु में ताल समाई । बरखै मोर कठूकै सारण, नदी अपूठी आई || 16 ॥
इस प्रकार प्रायः इन दोनों संप्रदायों में अप्रस्तुतों द्वारा
- ( ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 ) सामाजिक सन्दर्भों का संकेत
2, स्टेट बैंक कॉलोनी देवास रोड, उज्जैन (म. प्र. )