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________________ 50 धीरज थंम न डोरि धुनि, समाना आसमान । अटल दुलीचा अलख पद, जहाँ गोरख का दीवान ॥45 ॥ - (ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 ) भोजन-प्रक्रिया का अनेकत्र वर्णन है, जैसे सिद्धों में नौका का दिसण हमारी दीवी पाकै, अगनि बलै मुलतान । ऐसे हम जोगेस्वर नियना, प्रगटा पद निर्वान ।। अपभ्रंश भारती 19 कहीं-कहीं किसानी का भी अप्रस्तुत मिलता है, जैसे - - ( ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 ) DOO हाली भीतरि खेत निदांणै, बगु में ताल समाई । बरखै मोर कठूकै सारण, नदी अपूठी आई || 16 ॥ इस प्रकार प्रायः इन दोनों संप्रदायों में अप्रस्तुतों द्वारा - ( ग्यान तिलक - गोरखबानी, पृष्ठ 218 ) सामाजिक सन्दर्भों का संकेत 2, स्टेट बैंक कॉलोनी देवास रोड, उज्जैन (म. प्र. )
SR No.521862
Book TitleApbhramsa Bharti 2007 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Gyanchandra Khinduka
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages156
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Apbhramsa Bharti, & India
File Size7 MB
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