Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text
________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्र [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। 1.3 प्रमाणम्। द्रव्यादिचतुर्भेदाः सूरि वृत्तियुतम्। // 361 // दव्वसंखा।सूत्रम् 485 // से किं तं भवियसरीरदव्वसंखा? 2 जे जीवे जोणीजम्मणणिक्खंते इमेणं चेव आदत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिटेणं भावेणं संखा ति पयं से काले सिक्खिस्सति, जहा को दिटुंतो? अयं घयकुंभे भविस्सति ।सेतं भवियसरीरदव्वसंखा // सूत्रम् 486 // से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वसंखा?,२तिविहा पण्णत्ता, तंजहा- एगभविए बद्धाउए अभिमुहणामगोत्ते य॥ सूत्रम् 487 // एगभविएणं भंते! एगभविएत्ति कालओ केवच्चिरं होति?, जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी // सूत्रम् 488 // बद्धाउए एं भंते! बद्धाउएत्ति कालतो केवचिर होति?, जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी तिभागं / सूत्रम् 489 // अभिमुहुनामगोत्ते णं भंते! अभिमुहनामगोत्तेत्ति कालतो केवचिर होति?, जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं // सूत्रम् 490 // इयाणि कोणओ कंसंखंइच्छति - तत्थणेगम संगह ववहारा तिविहं संखंइच्छंति, तंजहा- एक्कभवियं बद्धाउय अभिमुहनामगोत्तं च / उज्जुसुओ दुविहं संखं इच्छति, तंजहा- बद्धाउयं च अभिमुहनामगोत्तं च / तिण्णि सद्दणया अभिमुहणामगोत्तं संखं इच्छंति। सेतं जाणयसरीर भवियसरीरवइरित्ता दव्वसंखा। सेतं नोआगमओ दव्वसंखा, से तंदव्वसंखा॥सूत्रम् 491 // से किं तं संखप्पमाणे? संखप्पमाणे अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा- नामसंखा, इत्यादि। सङ्ख्यानं सङ्कया, सङ्ख्यायतेऽनयेति वा सङ्ख्या, सैव प्रमाणं सङ्ख्याप्रमाणम् / इह सङ्ख्याशब्देन सङ्ख्या शङ्खयो योरपि ग्रहणं द्रष्टव्यम्, प्राकृतमधिकृत्य समानशब्दाभिधेयत्वाद्गोशब्देन पशु भूम्यादिवत् / उक्तं च गोशब्द: पशुभूम्यंशु वाग्दिगर्थप्रयोगवान् / मन्दप्रयोगो दृष्ट्यम्बु वज्र स्वर्गाभि Oचि / Oणीं। 0ग0'चे'त्यधिकम् / ॐगे। सूत्रम् 477-491 1.3.4 भावप्रमाणम। 1.3.4.2 गुण प्र०। 1.3.4.1.3 सहयाभावप्रमाणम्। 1.3.41.3.1--3 नामस्थापनाद्रव्याद्यष्टीभेदाः। नामस्थापना द्रव्याना तथा शङ्कशब्दमाश्रित्यनिरूपणम्। // 361 //

Page Navigation
1 ... 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450