Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 387
________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 365 // [[1] उपक्रमः / शा० उपक्रमः। 1.3 प्रमाणम्। द्रव्यादिचतुर्भेदाः गर्वबुद्धिः परासमृद्धौ तु हेलामतिर्विधेया, अनित्यत्वात्सकलसमृद्धिसम्बन्धानामिति भावः / नन्वलौकिकमिदं यत्पत्राणि परस्परं जल्पन्ति / सत्यमित्याह- नवि अत्थि गाहा सुगमा। नवरं वृक्षपत्रसमृद्ध्यसमृद्धिश्रवणतोऽनित्यतावगमेन भव्यानां सांसारिकसमृद्धिषु निर्वेदो यथा स्यादित्यसद्भूतोऽपि पत्राणामिहालाप उक्त इति भावः। तदेवं जह तुब्भे तह अम्हे, इत्यत्र किशलयपत्रावस्थया पाण्डुपत्रावस्थोपमीयते / एवं चोपमानभूतकिशलयपत्रावस्था तत्कालभावित्वात्सती पाण्डुपत्राणां तूपमेयभूता सावस्था भूतपूर्वत्वादसती तुब्भे वि य होहिहेत्यादौ तु पाण्डुपत्रावस्थया किशलयपत्रावस्थोपमीयते। तत्राप्युपमानभूता पाण्डुपत्रावस्था तत्कालयोगित्वात्सती, किशलयदलानां तूपमेयभूता सा भविष्यत्कालयोगित्वादसती, अतोऽसत्सतोपमीयत इति तृतीयभङ्गविषयता सङ्गच्छते / सुधिया तु यदि घटते तदान्यथापि सा वाच्येति / चतुर्थभने असंतयं असंतएणेत्यादि। तथा खरविषाणमभावरूपंप्रतीतं तथा शशविषाणमप्यभावरूपं निश्चेतव्यम्, यथा वाशशविषाणमभावरूपं निश्चितमित्थमितरदपिज्ञातव्यमिति भावः / एवं चोपमानोपमेययोरसत्त्वं स्फुटमेवेति // 492 // से किंतं परिमाणसंखा?, 2 दुविहा पण्णत्ता, तं०- कालियसुयपरिमाणसंखा दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा य॥सूत्रम् 493 // से किंतं कालियसुयपरिमाणसंखा?,२ अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा- पज्जवसंखा अक्खरसंखासंघायसंखा पदसंखापादसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निजुत्तिसंखा अणुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुयखंधसंखा अंगसंखा, से तं कालियसुयपरिमाणसंखा // सूत्रम् 494 // से किं तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा?, 2 अणेगविहा पण्णत्ता, तंजहा- पज्जवसंखा जाव अणुओगदारसंखा पाहुडसंखा सूत्रम् 493-496 1.3.4 भावप्रमाणम्। |1.3.4.1 गुण प्र०। 1.3.4.1.3 सङ्कयाभावप्रमाणम्। अष्टानां मध्ये 6 परिमाणज्ञाने सइयाभावप्रमाणे। // 365 //

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