Book Title: Anuyogdwar Sutram
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

View full book text
Previous | Next

Page 418
________________ [2] निक्षेपः। श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्र- सूरि वृत्ति 8 युतम्। // 396 // आगमओतावइया ते दव्वाया, जाव सेतं आगमओदव्वाए।सूत्रम् 561 // से किं तं नोआगमओ दव्वाए?, 2 तिविहे पं०, तं०- जाणयसरीरदव्वाए भवियसरीरदव्वाए जाणयसरीर भवियसरीरवइरित्ते दव्वाए।सूत्रम् 562 // से किं तं जाणयसरीरदव्वाए?, 2 आयपयत्थाहिकारजाणयस्सजसरीरगं ववगयचुत चाविय चत्तदेहं सेसंजहा दव्वज्झयणे, जावसेतं जाणयसरीरदव्वाए॥सूत्रम् 563 // से किं तं भवियसरीरदव्वाये?, 2 जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं भवियसरीरदव्वाये // सूत्रम् 564 // से किंतं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तेदव्वाये?, २तिविहे पण्णत्ते, तंजहा- लोइए कुप्पावयणिए लोगुत्तरिए॥सूत्रम् 565 // से किं तं लोइए?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए य ।सूत्रम् 566 // से किं तं सचित्ते?, 2 तिविहे पण्णत्ते, तंजहा- दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं / दुपयाणं दासाणं दासीणं, चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं, अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं आए। से तं सचित्ते // सूत्रम् 567 // से किं तं अचित्ते?, 2 सुवण्ण रयत मणि मोत्तिय संखसिलप्पवाल रत्तरयणा णं(संतसावएजस्स) आये, से तं अचित्ते। सूत्रम् 568 // से किंतं मीसए?, 2 दासाणंदासीणं आसाणं हत्थीणं समाभरियाउज्जालंकियाणं आये, सेतं मीसए, सेतंलोइए॥सूत्रम् 569 // से किंतंकुप्पावयणिये?,२तिविहे पण्णते, तंजहा, सचित्ते अचित्तेमीसए य / तिण्णिवि जहा लोइए, जावसेतं कुप्पावयणिए॥ ®गा। 1 / (c) सेतं मीसए, सेतं कुप्पावयणिए। सूत्रम् 558-579 2.1 ओघ, 2.2 नाम, २.३सूत्रालापक निष्पन्नभेदाः। 2.1 ओघनिष्पन्ने 'आय' पदस्य नामादि चतुर्निक्षेपाः। // 396 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450