Book Title: Anekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 32
________________ अनेकान्त/३१ डा. मानमल जैन सेठिया ने ६२ उपर्युक्त ग्रन्थों के अलावा निम्नांकित ग्रन्थों का उल्लेख करते हुए उन्हे अप्रकाशित बतलाया हैं१. सिद्धपूजा : अभिनन्दन नाथ मन्दिर, बूंदी में इसकी हस्तलिखित प्रति उपलब्ध हैं। २. कल्याण मन्दिर स्तोत्र टीका जयपुर मे हस्तलिखित है। ३. सरस्वती स्तुति : सभवनाथ मन्दिर जयपुर मे ४. पूजा विधान हस्तलिखित. उपलब्ध है। अप्रकाशित ५ जिनेन्द्र कल्याणभ्युदय सरस्वती भवन उज्जैन मे हस्तलिखित मौजूद है। ६. गधकुटी पूजा सरस्वती भवन उज्जैन मे हस्तलिखित मौजूद है। ७. विमान शुद्धि विधान भट्टारकीय भण्डार सोनागिरि मे हस्तलिखितहै। ८. कर्मदहन व्रत विधान . दि जैन मन्दिर बन्दहाडपुर ६ स्वपनावली : मूडवद्री मे हस्तलिखित है। १० सुप्रभात स्तोत्र मूडवद्री मे हस्तलिखित है। ११. चतुविशति जिन पूजा मूडवद्री मे हस्तलिखित है। १२. सिद्धिप्रिय स्तोत्र टीका दीवान जी का मन्दिर, कामा मे हस्तलिखित प्रति मौजूद। १३. रत्नत्रयव्रत कथा पटोदी मदिर जयपुर मे हस्तलिखित प्रति है। १४. जिन महाभिषेक बोरसली मन्दिर कोटा मे हस्तलिखित प्रति है। १५. महावीर पुराण जयपुर में हस्तलिखित प्रति है। १६. शान्ति पुराण लश्कर दि जैन मंदिर जयपुर मे हस्तलिखित प्रति है। १७. देवशास्त्र पूजा आमेर मे हस्तलिखित प्रति है। १८ सोलह कारण पूजा चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। १६ सरस्वति अष्टक · चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। २०. पादूका अष्टक: चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। २१. दशलाक्षणिक जयमाल. चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। २२ व्रतारोपण . चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। २३. महर्षि स्तवन . चन्द्रनाथ मन्दिर देवलगॉव मे हस्तलिखित प्रति है। ___ इनमे पूर्वाकित भारतेश्वराभ्युदय काव्य (स्वोपज्ञटीका, क्रियाकलाप, भूपाल चतुर्विशतिका टीका, प्रमेयरत्नाकर और आराधनासार टीका को मिला दिया जाय तो प. आशाधर के २८ ग्रन्थ अप्रकाशित है। रचनाकाल- इस प्रकार स्पष्ट है कि प आशाधर ने धारा मे अध्ययन २५ वर्ष की अवस्था समाप्त करने के बाद नालक्षा मे जाकर साहित्य सृजन करना आरम्भ कर दिया होगा। अतः शातिकमार ठवली का यह कथन यथार्थ है कि आशाधर ने वि.सं १२५० से १३०० तक (अर्धशतक) साहित्य रचना की थी। विद्वानो का मत है कि उनका

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