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"सेसई का शान्तिनाथ मन्दिर"
श्री नरेश कुमार पाठक सेसई मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले को कोलारस नवीन रूप दे दि : गया है । ले कन मन्दिर के गर्भगृह का तहसील में स्थित है। आगरा-बम्बई मार्ग पर ग्वालियर द्वार प्राचीन दी है। ल-विन्स मे गर्भगह मण्डप एवं से १३२ किलो मीटर एव शिवपुरी से २० किलो मीटर प्रदक्षिणापथ में विभाजित है। ऊर्य विन्यास मे जगति, की दूरी पर सेसई ग्राम है। यह ७७°३७' पश्चिम, जघा एव शिखर है । मन्दिर का गर्भगृह मादा हैं, जिसमे २५.१६' उत्तर में स्थित है। समुद्र की सतह से ऊँचाई कोयोत्सर्ग मुद्रा में नीथंकर शान्तिनाप की विश लकाय १७३६ फीट है। यहां से गुप्तलिपि मे उत्कीर्ण स्मारक प्रतिगा प्रतिष्ठापित है। पास में ही एक अन्य तीथंकर स्तम्भ लेख जिसमे कुछ ब्राह्मण युवको द्वारा किसी युद्ध मे प्रतिमा पद्यानन मे बैठी है। गर्भगह के द्वार की देहरी मारे जाने तथा उसकी माता द्वारा दु.ख से जल मरन का पर लडने हए गज, सिंह पुजक एव पूर्ण विकसित कमल उल्लेख है। यहां से एक अन्य ६वीं शताब्दी ईवी का लिए है। द्वार गाना में दोनों ओर नदी देवो गगा-यमुना स्मारक स्तम्म लेख है। जैन मन्दिर के पश्चिम की आ. एव युगल प्रतिमा गोरा अनि है। सिरदल पर पद्मासन मे स्मारक स्तम्भ जिस पर लगभग ६-७वी शताब्दी ईसकी नीयकर बैठे हुए है, जाप्रमण्डल स पलकृन है। पादका लेख उत्कीर्ण है। लेख मे एक माता द्वारा अपने पुत्री पीठ पर विशन .. म मुखकिय सिंहा का अकन है। के युद्ध मे मृत हो जाने के शोक मे आत्मदाह करने का ऊपरी पाट्ट ITTI . पसार एवं ना कायोताग मुद्रा उल्लेख है। स्मारक स्तम्भ के निकट २रो शती म्मार में जिन प्रतिमा वाम कारा पाट्टका पर नवजिस पर अस्पष्ट लेख उत्कीर्ण है। विक्रम संवत् १३४(:) गह यक्षणी चोप यादवा सरस्वती एव अन्य (ईस्वी सन् १२८४) का सती प्रस्तर लेख जिममे मलय- प्रतिभाओ का
अ ण्ड । द्वार स्तम्भ घटपल्लव देव की मत्यु तथा मती का उल्ख है। सती स्मारक के एव कीवोमबलका। पीना और के स्तम्मी पर दक्षिण की ओर प्राचीन बावडी के भग्नावशेष' गाँव के दोनों पापर्व मनापान, जो एक भुग म चावर एव दक्षिण-पश्चिम में प्राचीन शैव मन्दिर के भग्नावशेष व दूसरी भजा पाप है, यह कुण्डल, गया , कयर, लगभग १०वी-१२वी शताब्दी ईस्वी का सूर्य मन्दिर है। बनय, मेखताव बनाने धारण किया है। स्तम्भो के इन्ही मन्दिरों के पास लगभग ११वी-१२वी शताब्दी ईस्वा दोनो ओर काल्पग म जिन प्रा.मा एव मालाधारी के जैन मन्दिर के अवशेष है।'
विद्याचगेका अनि है। इनी मन्दिरका एजप्रतिमा यह मन्दिर दिगम्बर जैन मन्दिर नौगजा अतिशय कायात्सर्ग मुद्रा में निाम गूर्य मन्दिर म रखी है। यह क्षेत्र के नाम से जाना जाता है । मन्दिर पश्चिमाभिमुखी मन्दिर काफी महत्वपूर्ण है, जिमा विस्तार में अध्ययन एव तक र शान्तिनाथ को अपित है। प्राचीन मन्दिर आवत क है। इसके अलावा जिला मग्रहालय शिव [ मे काफी नष्ट हो जाने के कारण उसका जीर्णोद्धार कराकर यहाँ की दो तीर्थ र सिमा सुरक्षित है।
सन्दर्भ-सची १. ग्वा. पु. रि. वि. सवत् १९८६ पृष्ठ ३७ ।
वि. मा १६७१ क्रमाक २१ । , १९२६-३० पृ. २६-६३ । ६. , , १६२६-३० पृ. २६-६३
१६१६-१७ १६१४.१५
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