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नबोर बौद्ध मूर्तियां
गही
सिंह
६. पुष्पदंत
मकर
वती देवी का आमन कमल है और वाहन सर्प है। उनके १०. शीतलनाथ
स्वस्तिक (दिगम्बर) मस्तक पर फण भी दिखाए जाते हैं। अबिका देवी की
कल्पवृक्ष (श्वेताम्बर) मुख्य पहचान आमवृक्ष के नीचे उनके साथ दो बालको का ११. श्रेयागनाथ
गंडा
अकन है। ज्यालामालिनी देवी का वाहन भैसा है। १२. वासुपूज्य
भमा
चक्रे वरी देवी के हाथ में धर्मचक होता है। इन देवियो १३. विमलनाथ
नाकर
अथवा यो के मम्नक पर की कही तीर्थकर प्रतिमा भी १४ अनंतना
प्रदर्शित की जाती है जो कि उनका तीर्थकर के धर्म की १५. घर्मनाय
वन
रक्षक देवी या देव होना सुचित करती है। सभी यक्षो १६ शानिया
हाण
और यतिणियों का विवरण देना एक अलग पुस्तक का १५ वयुनाथ
बाग
झप ले सकता है। इसलिए अ धक लोकप्रिय का ही सकेत १८. अरनाथ
मीन
किया गया है। स लेना मुझय उद्देश्य बौद्ध और १६. मल्लिनाथ
कलश
जैन प्रतिमाओ मे भेद बताना है। २० मुनिसटतनाथ कमें
बोद्ध प्रतिमाए २१. नमिताप
नीलकमल
बृहत्महिता में बुद्ध प्रतिमा का लक्षण निम्न प्रकार २२ नेमिनाय
रूप
दिया गया है-३ पारवनाथ
मर्प
पमातिचरण प्रसन्न मूतिः गुवीचकेशश्च । २४ महावीर
पदमागनोग विष्ट पितेव जगतो भवति वृद्ध. ॥ टिप्पणी नद्यावर्न एक प्रकार से वस्तिक है जिगो अर्थात बुद्ध की प्रतिमा चरण पर कमल अकित, प्रसन्न नौ कोण होते हैं। यह ज्यामितीय र ना जान पड़ती है। मुद्रा में मुवीचकेश और पद्मासन में बैठी हुई पिता की बकरे को ग तथा नीनकमन को उत्पल मी कहा माति होती है। गया है।
ऊपर दिए गए लक्षण में केश पर विशेष ध्यान देने ___ कलावस्नुआ और पौराणिक प्रसगो का भी जिन की आवश्यकता है। बुद्ध प्रतिमा के मस्तक के पिछले प्रतिमाओ के साथ अनया जाना। कुछ उदाहरण भाग में बालो का छोटा-सा जड़ा ऊपर उठा हुआ होता है। है त , धर्मचक्र, हा मालाए विद्या- से उप्णीप कहा जाता है। इस शब्द का अर्थ आप्टे को धर, मीन युगात आदि । कनाटक के होम्युगा नामक स्थान प्राक्टिकल-संस्कृत इग्लिम डिक्शनरी में इस प्रकार दिया पर सातवी मदी पानाय प्रतिमा के दोनों ओर गया है --A cear.cteristic Mark (of hair. on उनके पूर्व भव के समठ द्वारा तपस्या के समय उनके
the head on a Buddha whic' indicates future पर किए गए पान का सदर अकाल है।
sanctity बुद्ध की मूति खडी हुई या बैठी हुई बनाई जाती जैन मान्यता के अनमार जीकर का एक यक्ष है। श्रीलका मे बुद्ध की लेटी हुई पति भी बनाई गई है। और एक यजिणी होते हैं । केचन में प.वनाथ जैन मति इस मुद्रा में नही बनाई जाती है। उपर्युक्त की यक्षणी पदमावती देवी की बहुत अधिक मान्यता परिभाषा में एक बड़ी कमी यह है कि उसमे यह उल्लेख रही है आज भी है। यह देवी अब केरल में वैदिक परंपरा नही है कि बुद्ध की मान सदा ही वत्र धारण करती है। मे भगवती के नाम से पूजी जा रही है ऐमा कुछ विद्वानो जिन मूति और बुद्ध प्रतिमा पु. 7 भेद है। बुद्ध का मत है । नेमिनाथ की शामन देवी अबिका, ऋषभदेव के कपाल पर कभी कभी तिलक या गोल विदी भी देखी की यक्षणी चक्रेश्वरी देवी और चद्र प्रभु की शासन देवी जाती है। बुद्ध प्रतिमा यदि ध्यस्थ न हो तो वह ज्यालामालिनी को भी केरल में काफी मान्यता है । पद्मा
(शेप पृ० ३२ पर)