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अनेकान्त/३४
२१ नलकच्छपुरे श्री मन्नेमि चैत्यालये ऽसिधत् ।
विक्रमाब्दशतेष्वेष त्रयोदशसु कार्तिके।।
अनागार धर्मामृत टीका प्रशस्ति श्लोक ३१ २२ डा नेमिचन्द्र शास्त्री तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा अखिल भारतरवर्षीय
दि जैन विद्वत्परिषद सागर १६६४ भाग ४, पृ ४३ २३ डा नेमिचन्द्र शास्त्री तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा अखिल भारतरवर्षीय
दि जैन विद्वत्परिषद् सागर १६६४ भाग ४. पृ ४३ २४ प नाथूराम प्रज्ञापुज आशाधर बघेरवाल सदेश अक २८१५ पृ १६ २५ प नाथूराम प्रज्ञापुज आशाधर बघेरवाल सटेश अक २८१५ पृ १५ । २६ देखे तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा भाग ४, पृ ४४ २७ वीराचार्य सुपूज्यपाद जिसेनाचार्य सभषितो य पूर्व गुणभद्रसूरि वसुनदीन्द्रादिनचूर्जित'
तेम्य स्वाहृतसारमध्य रचित स्याज्जैन पूजाक्रम ।।
बघेरवाल सदेश २५५ मई १६६३. १६ २८ प जगन्मोहन लाल जी शास्त्री श्री प आशाधर जी और उनका सागार धर्मामृत
(व्याख्यान वाचस्पति देव की नन्दन जी सिद्धान्त शास्त्री ग्रन्थ, श्री महावीर ज्ञानोपासना
समिति कारजा. पृ १८६) २६ बघेरवाल सदेश, २८/५ ज्योतिर्द आशाधर पृ ५३ ३० जैन ग्रन्थ उद्धारक कार्यालय स १६६४ मे हिन्दी टी के साथ प्रकाशित । ३१ (क) स्याद्वाद विद्या विशद प्रसाद प्रेमयरत्नाकरनाम धेय ।
तर्क प्रबन्धो निखद्यविद्यापीयूष पूरो वहतिस्म यरमात् ।। (ख) सिद्धयक भारतेश्वराम्यसत्काव्य निबन्धोज्जवल ।
यस्त्रविद्य कवीन्द्र मोहनमय स्वश्रेयसे ऽरीरचत् । (ग) योऽर्हद्वाक्यरस निबन्धरूचिर शास्त्र च धर्मामृत
निर्माय न्यऽधान मुमु विदुषामानन्द सान्द्रे हृदि ।। ३२ (क) माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला बम्बई से भव्य कुमुद चन्दिका टीका सहित, वि स
१६७६ सन् मे, प वशीधर शास्त्री द्वारा सपादित, प्रकाशित। (ख) ज्ञानदीपिका सस्कृत पम्जिका हिन्दी अनुवाद सहित मा ज्ञानपीठ नई दिल्ली से
वि स २०३४ सन् १६७७ मे स एव अनुवादक सि प कैलाश चन्द्र शास्त्री,
प्रकाशित। ३३ आयुर्वेदविदामिष्टज्ञ व्यक्त वाग्भट सहिताम्।
अष्टाउ हृदयोदद्योत निबन्धमसृजच्च य ।।
सागारधर्म प्रशस्ति, श्लोक १२ ३४ जीवराज ग्रन्थमाला, शोलापुर सन् १६३४ मे प्रकाशित। ३५ योमूलाराधनेष्टोपदेशदिषु निबन्धनम् प्रशस्ति श्लोक १३ ३६ व्यघतामर कोशै च क्रिया कलापुमुज्जगौ।। प्रशस्ति श्लोक १३। ३१ आदि आराधनासार प्रशस्ति श्लोक १३। ३. भूपाल चतुर्विशतिस्तवनाद्यर्थ । उज्जगौ उत्कृष्ट कृतवान। प्रशस्ति श्लोक १३।