Book Title: Agamiya Suktavalyadi Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha View full book textPage 8
________________ श्रीआगमीयसूक्तावलै। आवश्यकस्य सूक्तानि २१ अभिकखंतेहिं सुहासियाई बयणाई अस्थसाराई। चरणकरण पहओ निब्वाणपहो जिणिदेहिं॥ (३८६) विम्हियमुहेहिं हरिसागएहिं हरिसं जणंतेहिं ॥ ३० सिद्धिवसहिमुवगया निव्याणसुहं च ते अणुप्पत्ता। २२ गुरुपरिओसगएणं गुरुभत्तीए तहेव विणएणं ।। | सासयमब्बावाहं पत्ता अयरामरं ठाणं ॥ (३८६) इच्छियसुत्तत्थाणं खिप्पं पारं समुवयंति ॥ (२६९)| ३१ पावंति जहा पारं सम्म निजामया समुदस्स। २३ माणुस्स खेत्त जाई कुलरूवाऽऽरोग्गमाउयं बुद्धी। ___भवजलहिस्स जिणिंदा तहेव जम्हा अओ अरिहा ॥ (३८६) सवणोग्गहसद्धा संजमो य लोगंमि दुलहाई ॥ ३२ मिच्छत्तकालियावायविरहिए सम्मत्तगजभपवाए । २४ इदियलद्धी निव्वत्तणा य पज्जत्ति निरुवहय खेमं । ___ एगसमरण पत्ता सिद्धिवसहिपट्टणं पोया ॥ धायारोग्गं सद्धा गाहगउवओग अहोय ॥ (अन्यदीया.) ३३ निजामगरयणाणं अमूढनाणमइकण्णधाराणं ।' २५ चोल्लग पासग धणे जूए रयणे य सुमिण चकके य । वंदामि विणयपणओ तिविहेण तिदंडविरयाणं ॥ चम्मजुगे परमाणू दस दिटुंता मणुयलंभे॥ (३४१) | ३४ पालंति जहा गावो गोवा अहिसावयाइदुग्गेहिं । २६ जह तमिह सत्यवाहं नमइ जणो तं पुरं तु गंतुमणो॥ | पउरतणपाणिआणि अ वणाणि पावंति तह चेव ॥ परमुवगारित्तणओ निविग्घत्थं च भत्तीए॥ ३५ जीवनिकाया गाबो जं ते पालंति ते महागोवा । २७ अरिहो उ नमुकारस्स भावओ खीणरागमयमोहो। मरणाइभया उ जिणा निव्वाणवणं च पावंति ॥ मुक्खत्थीणंपि जिणो तहेव जम्हा अओ अरिहा ॥ ३८५/३६ तो उवगारित्तणो नमोऽरिहा भविअजीवलोगस्स । २८ संसाराअडवीए मिच्छत्तऽन्नाणमोहिअपहाए । सव्वस्सेह जिणिंदा लोगुत्तमभावो तह य ॥ जेहिं कय देसिबत्तं ते अरिहंते पणिवयामि ॥ ३७ रागहोसकसाए य, इंदिआणि अ पंचवि । २९ सम्मइंसणदिट्ठो नाणेण य सुट्ट तेहिं उवलद्धो। परीसहे उवसग्गे, नामयंता नमोऽरिहा ॥Page Navigation
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