Book Title: Agamiya Suktavalyadi
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Jain Pustak Pracharak Samstha

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Page 14
________________ 122222145 shov 22282 श्री आगमीय श्री सूक्तावली ॥१२॥ मो FET ₹ सं भा पूयहिज्जे लोए दाणपडागं हरइ दितो ॥ (१३१) १३७ ७ पाएण देइ लोगो उवगांरिसु परिचिएस झुलिप वा । जो पुण अद्धाखिनं अतिहिं पूण्ड तं दाणं ॥ ८ दीहरसील परिचालिऊण विसपसु वच्छ ! मारमसु । को गोपयंमि बुइ उयहिं तरिऊण वाहाहिं ? ॥ ९ छउमत्यो सुयनाणी उवउसो उज्जुओ पयसेणं । आवन्नो पणवीसं सुयनाणपमाणओ सुद्धो ॥ १० ओहो ओवउत्तो सुयनाणी जहवि हिण्ड असुद्धं । तं केवलीवि भुंजर अपमाण सुयं भवे इहरा ॥ (१४७) ११ सुत्तस्स अप्पमाणे वरणाभावो तओ य मोक्खस्स । मोक्rasfar अभावे दिक्खपवित्ती निरत्था उ ॥ (१४८) अथ उत्तराध्ययनसूक्तानि (१४७) १३१ १ क्वचित् सौम्या शैल्या क्वचिदधिकृतप्राकृतभुवा, कचिvarevar safaaiप समारोपविधिना । कचिच्चाध्याहारात् कचिदविकलप्रक्रमबलादियं व्याख्या ज्ञेया कचि (७१) दपि तथाssनायवशतः ॥ २ भयपि धूलभहो तिक्खे चकम्मिओ न उण छिन्नो । अग्गिसिहाए त्यो चाउम्मासे न उण दडो ॥ ३ माणुस्सं धम्मसुई सद्धा तब संजमंमि विरिअं च । एए भावंगा खलु दुलभगा हुंति संसारे ॥ ४ माणुस्स खिस जाई कुल रुवाऽऽरोग्ग आउयं बुद्धी । सवणुग्गह सद्धा संजमो अ लोगंमि दुलहाई ॥ ५ बुल्लग पासग धन्ने जूए रयणे अ सुमिण चके य । चम्मजुगे परमाणू दस दिहंता मणुअलंमे ॥ ६ आलस्स मोहऽवन्ना थंभा कोहा पमाय किविणता । भय सोगा अनाणा वक्खेव कुऊहला रमणा ॥ एएहिं कारणेहिं लडूण सुदुलहंपि माणुस्सं । न लहइ सुई हिमकरिं संसारुतारिणि जीवो ॥ ७ मिच्छादिट्ठी जीवो उवइटुं पवयणं न सद्दहर | सद्दह असम्भावं उवह वा अणुवाई | १८ सम्मद्दिट्ठी जीवो उवइङ्कं पवयणं तु सद्दहइ । सद्दहर असम्भावं अणभोगा गुरुनिओगा वा ॥ ९ खितं वत्थु हिरण्णं च पसवो दास पोरुसं । (१०४) (१४४) (१४५) दा (१४५) सं (१५१) 5555 Www his the 523232323222 (१५१) (१५१) ग्र भा पिण्डयुक्त्यु त्तराध्यय नयोः सूक्तानि ॥१२॥

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