Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 16
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् : श्रुतस्कंधः 1 अध्ययनं 3 ] / 146 सयणे एगे समाहिए सिया / भिक्खू उवहाणवीरिए, वइगुत्ते अज्झत्तसंवुडो // 12 // णो पीहे ण यावपंगुणे, दारं सुन्नघरस्त संजए / पुठे ण उदाहरे वयं, गण समुच्छे णो संथरे तणं // 13 // जत्थ त्यमिए प्रणाउले, समविसमाई मुणीऽहियासए / चरगा अदुवावि भेरवा. अदुवा तत्थ सरीसिवा सिया॥१४॥ तिरिया मणुमा य दिव्वगा, उवसग्गा तिविहाहियासिया / लोमादीयं ण हारिसे, सुन्नागारगयो महापुणी // 15 // णो अभिकंखेज जीवियं, नोऽविय पूयणपत्थए सिया / यभत्थमुर्विति भेरवा, सुन्नागारगयस्त भिवखुणो // 16 // उवणीयतरस्स ताइणो, भयमाणस्स विविकमासणं / सामाइयमाहु तस्स जं, जो अप्पाण भए ण दंसए // 17 // उसिणोदगतत्तभोइणो, धम्मट्ठियस्स मुणिस्म हीमतो / संमग्गि असाहु राइहिं, असमाही उ तहागयस्सवि // 18 // अहिगरणाकडरस भिवखुणो, वयमाणस्स पसज्झ दारुणं / अट्ठे परिहायती बहु, अहिगरणं न करेज पंडिए // 11 // सीयोदग पडि दुगुछिणो, यपडिराणस्स लवावसप्पिणो / सामाइयमाहु तस्म जं, जो गिहिमतेसणं उ भुजती // 20 // ण य संखयमाहु जीवियं, तहविय बालजणो पग भइ / बाले पापेहिं मिजती, इति संखाय मुणी ण मजती॥२१॥ छदेण पले इमा पया, बहुमाया मोहेण पाउडा / वियडेण पलिंति माहणे, सीउराहं वयसाहियासए // 22 // कुजए अपराजिए जहा, अक्खेहिं कुमलेहिं दीवयं / कडमेव गहाय णो कलिं, नो तीयं नो चेव दादरं // 23 // एवं लोगंमि ताइणा, बुइए जे धम्मे अणुतरे / तं गिराह हियंति उत्तम, कडमिव सेसऽवहाय पंडिए॥२४॥ उत्तर मणुयाण ग्राहिया, गामधम्मा इइ मे अणुस्सुयं / जसी विरता समुट्ठिया, कासवस्म अणुधम्मचारिणो // 25 // जे एय चरंति ग्राहियं, नाएणं महया महेसिणा / ते उठ्ठिय ते समुट्ठिया, अन्नोन्नं सारंति धम्मयो // 26 // मा पेह पुरा पणामए, अभिकंखे उवहिं धुणित्तए / जे दूमण तेहिं णो गाया, ते जाणंति ममाहिमाहियं // 27 // णो काहिएँ होज संजए, पासणिए

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