Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 240 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः समणे नायपुत्ते, इच्चेव मे होति मती विषका // 11 // नवं न कुजा विहुणे पुराणं, चिचाऽमई ताइ य साह एवं / एतोवया बंभवतित्ति वुत्ता, तस्सोदयट्ठी समणेतिबेमि // 20 // समारभंते वणिया भूयगामं, परिग्गहं चेव ममायमाणा / ते णानिसंजोगमविप्पहाय, श्रायस्स हेउं पगरंति संगं // 21 // वित्तेसिणो मेहुणसंपगादा, ते भोयणट्ठा वणिया वयंति / वयं तु कामेसु अज्मोववन्ना, अणारिया पेमरसेसु गिद्धा // 22 // श्रारंभगं चेव परिग्गहं व, अविउस्तिया णिस्सिय पायदंडा / तेसिं च से उदए जं वयासी, चउरं. तणंताय दुहाय णेह // 23 // : णेगंत णच्चंतिव योदए सो, वयंति ते दो विगुणोदयंमि / से उदए सातिमणंतपत्ते, तमुदयं साहयइ ताइ णाई // 24 // अहिंसयं सवपयाणुकपी, धम्मे ठियं कम्मविवेगहेउं / तमायदंडेहिं समायरंता, श्रबोहीए ते पडिरूवमेयं // 25 // पिनागपिंडीमवि विद्ध सूले, केइ पएज्जा पुरिसे इमेत्ति / अलाउयं वावि कुमारएत्ति, स लिप्पती पाणिवहेण अम्हं // 26 // अहवावि विभ्रूण मिलक्खु सूले, पिन्नागबुद्धीइ नरं पएजा / कुमा. रगं वावि अलाबुयंति, न लिप्पइ पाणिवहेण अम्हं // 27 // पुरिसंव विभ्रूण कुमारगं वा, सूलंमि केई पए जायतेए / पिनाय पिंडं सतिमारुहेत्ता, बुद्धाण तं कप्पति पारणाए // 28 // सिणायगाणं तु दुवे सहस्से, जे भोयए णियए भिक्खुयाणं / ते पुन्नखधं सुमहं जिणित्ता, भवंति थारोप्प महंतमत्ता // 21 // अजोगरूवं इह संजयाणं, पावं तु पाणाण पसज्म काउं / अबोहिए दोराहवि तं असाहु, वयंति जे यावि पडिस्सुणति // 30 // उड्ढ यहेयं तिरिय दिसासु, विनाय लिंगं तसथावराणं / भूयाभिसंकाइ दुगुबमाणे, वदे करेजा व कुत्रो विहऽत्थी ? // 31 // पुरिसेत्ति विन्नत्ति न एवमत्थि, अणारिए से पुरिसे तहा हु / को संभवो ? पिनगपिडियाए, वायावि एसा बुइया श्रमचा // 32 // वायाभियोगेण जमावहेजा, णो तारिसं वायमुदाहरिजा / अट्ठाणमेयं वयणं गुणाणं, णो दिविखए बूय सुरालमेयं // 33 // लद्धे अढे श्रहो
Page Navigation
1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122