Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 242 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः कीडा य पक्खी य सरीसिवा य, नरा य सब्बे तह देवलोगा // 48 // लोयं अयाणित्तिह केवलेणं, कहंति जे धम्ममजाणमाणा / णासंति अप्पाण परं च णट्ठा, संसार घोरंमि अणोरपारे // 4 // लोयं विजाणंतिह केवलेणं, पुग्नेण नाणेण समाहिजुत्ता / धम्मं समत्तं च कहंति उ, तारंति अप्पाण परं च तिन्ना // 50 // जे गरहियं ठाणमिहावसंति, जे यावि लोए चरणोववेया। उदाहडं तं तु समं मईए, यहाउसो विपरियासमेव // 51 // संवच्छरेणावि एगमेगं, बाणेण मारेउ महागयं तु। सेसाण जीवाण दयट्टयाए, वासं वयं वित्ति पकप्पयामो // 52 // संवच्छरेणावि य एगमेगं, पाणं हणंता अणियत्तदोसा / सेसाण जीवाण वहेण लग्गा, सिया य थोवं गिहिणोऽवि तम्हा // 53 // संवच्छरेणावि य एगमेगं, पाणं हणंता समणंब्वएसु / श्रायाहिए पुरिसे अणज्जे, ण तारिसे केवलिणो भवंति // 54 / / बुद्धस्स श्राणाएँ इम समाहिं, अस्सि सुठिचा तिविहेण ताई / तरिउं समुद्द व महाभवोघं, यायाणवं धम्ममुदाहरेजा // 55 // त्तिवेमि // // इति षष्ठमध्ययनम् // 2-6 // // अथ सप्तमं नालन्दीयाध्ययनम् // तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था, रिद्धिस्थिमितसमिद्धे वगणयो जाव पडिरूवे, तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए, (एत्थ ) नालंदानामं बाहिरिया होत्था, श्रोगभवणसयसन्निविट्ठा जाव पडिरूवा ।।सू० 68 // तत्थ णं नालंदाए बाहिरियाए लेवे नाम गाहावई होत्था, अडढे दित्ते वित्ते विच्छिरणविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइराणे बहुधणबहुजायसवरजते यायोगपयोगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासी दासगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए (जाव) यावि होत्या // से णं लेवे नाम गाहावई समणोवासए यावि होत्या, अभि
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