Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 98
________________ [ 231 श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3] ग्रहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु वा सचित्तेसु वा अत्रितेसु वा पुढवित्ताए सकरत्ताए वालुयत्ताए इमायो गाहायो अणुगंतव्वायो'पुढवी यसकरा वालुया य उवले सिला य लोणूसे / अय तउय तंव सीसग रुप्प सुवराणे य वइरे य // 1 // हरियाले हिंगुलए मणोसिला सासगंजणपवाले। अब्भपडलब्भवालुय बायरकाए मणिविहाणा // 2 // गोमेजए य रुयए अंक फलिहे य लोहियक्खे य / मरगयमसारगल्ले भुयमोयग इंदणीले य // 3 // चंदण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगंधिए य बोव्वे / चंदप्पभ वेरुलिए जलकते सूरकते य // 4 // एयायो एएसु भाणियव्वायो गाहायो जाव सूरकंतताए विउटटंति, ते जीवा तेसिं णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा श्राहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं पुढवीणं जाव सूरकंताणं सरीरा णाणावराणा जावमरखायं, सेसा तिगिण बालावगा जहा उदगाणं // सूत्रं 61 // ग्रहावरं पुरक्खायं सव्वे पाणा सव्वे भूता सब्वे जीवा सव्वे सत्ता णाणाविहजोणिया णाणाविहसंभवा णाणाविहवुकमा सरीरजोणिया सरीरसंभवा सरीवुकमा सरीराहारा कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मगतीया कम्मठिया कम्मणा चेव विप्परियासमुवेति // से एवमायाणह से एवमायाणित्ता अाहारगुत्ते सहिए समिए सया जए तिबेमि // सूत्रं 62 // // इति तृतीयमध्ययनम् // श्रु० 2 / अ० 3 / /

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