Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् // श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 5 ] [ 237 गणे सकम्मुणा। उवलितेति जाणिजा, अणुवलिनेति वा पुणो // 8 // एएहिं दोहिं ठाणेहिं, ववहारो ण विजई / एएहिं दोहिं ठाणेहिं, अणायारं तु जाणए // 1 // जमिदं अोरालमाहारं, कम्मगं च तहेव य (तमेव तं)। सव्वत्थ वीरियं अस्थि, णत्थि सव्वत्थ वीरियं / 10 // एहिं दोहिं ठाणेहिं, ववहारो ण विजई / एएहिं दोहि ठाणेहिं, अणायारं तु जाणए // 11 // णत्थिलोए बालोए वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि लोए श्रलोए वा, एवं सन्नं निवेसए // 12 // णत्थि जीवा अजीवा वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि जीवा अजीवा वा, एवं सन्नं निवेसए // 13 // णत्थि धम्मे अधम्मे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अत्थि धम्मे श्रधम्मे वा, एवं सन्नं निवेसए ॥१४॥णत्थि बंधे व मोक्खे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि बंधे व मोक्खे वा, एवं सन्नं निवेसए // 15 // णत्थि पुराणो व पावे वा. णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि पुराणे व पावे वा, एवं सन्नं निवेसए // 16 // णस्थि पासवे संवरे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि श्रामवे संवरे वा, एवं सन्नं निवेसए // 17 / णस्थि वेयणा णिज्जरा वा, णेवं सन्नं निवैसए / अत्थि वेयणा णिजरा वा, एवं सन्नं निवेसए // 18 // णत्थि किरिया अकिरिया वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि किरिया अकिरिया वा, एवं सन्नं निवेसए ॥११॥णत्थि कोहे व माणे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि कोहे व माणे वा, एवं सन्नं निवेसए // 20 // णत्थि माया व लाभे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि माया व लोभे वा, एवं सन्नं निवेसए // 21 // णत्थि पेज्जे व दोसे वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि पेज्जे व दोसे वा, एवं सन्नं निवेसए // 22 // णस्थि चाउरते संसारे, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि चाउरते संसारे, एवं सन्नं निवेमए // 23 // णत्थि देवो व देवी वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि देवो व देवी वा, एवं सन्नं निवेमए // 24 // गास्थि सिद्धी प्रसिद्धी वा, णेवं सन्नं निवेसए / अस्थि
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