Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ स्सि गतिपपुरस अभिकम महते सेए जाव शहावरे बउथे पाचारणाए 188] " [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू अहमेयं परमवरपोंडरीयं उन्निक्खिविस्सामित्ति कटु इति वुच्चा से पुरिसे अभिकमे तं पुक्खरिणिं जावं जारं च णं अभिकमे तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए जाव अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिन्स, नेतच्चे पुरिसजाए 4 // सूत्रं 4 // ग्रहावरे उत्थे पुरिसजाए, ग्रह पुरिसे उत्तरायो दिसायो बागम्म तं पुक्खरिगिण, तीसे पुरखरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं. एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुबुट्ठियं जाव पडिरूवं 1 / ते तत्थ तिनि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते जाव सेयंसि णिसन्ने / तए णं से पुरिसे एवं वयासी-ग्रहो णं इमे पुरिला अखेयन्ना जाव णो मग्गस्स गतिपरक्कमराणू जगणं एते पुरिसा एवं मन्ने-यम्हे एतं पउमवरपोंडरीयं उन्निक्खिविस्तामो 3 / णो य खलु एयं पउमररपोंडरीयं एवं उन्निक्खेवेयव्वं जहा णं एते पुरिसा मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयन्ने जाव मग्गस्स गतिपरकमराणू, अहमेयं परमवरपोंडरीयं उन्निक्खिविस्सामित्ति कट्टु इति वुच्चा से पुरिसे तं पुक्खरिणिं जावं जावं च णं अभिकमे तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए जाव णिमन्ने, चउत्थे पुरिसजाए // सूत्रं 5 // श्रह भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव गतिपरकमराणू अन्नतरायो दिसायो वा अणुदिसायो वा बागग्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुखरिणीए तीरे टिचा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं जाव पडिरूवं 1 / ते तत्थ चत्तारि पुरिसजाए पासति पहीणे तीरं श्रपत्ते जाव पउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए अंतरा पुक्खरिणीए सेयंसि णिसन्ने 2 / तए णं से भिवखू एवं वयासी-ग्रहो णं इमे पुरिसा अखेयना जाव णो मग्गस्स गतिपरक माणू, जं एते पुरिसा एवं मन्ने अम्हे एयं परमवरपोंडरीयं उनिक्खिविस्सामो 3 / णो य खलु एयं पउमवरपोंडरीयं एवं उन्निक्खेवेतव्वं जहा णं एते पुरिसा मन्ने, ग्रहमंसि भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव मग्गस्स गतिपरकमगण , अहमेयं परमवरपोंडरीयं उरिणक्खिविस्तामित्ति कटु इति बुच्चा से
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