Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 60
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्ग-मूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 1 ] [ 193 भयंतारो ! जहा मए एस धम्मे सुअक्खाए (जाव) सुपन्नत्ते भवति 1 // इह खलु पंच महन्भूता, जेहिं नो विजइ किरियाति वा अकिरियाति वा, सुकडेति वा दुक्कडेति वा, कल्लाणेति वा पावएति वा, साहुति वा असाहुति वा, सिद्धीति वा ग्रसिद्धीति वा, जाव णिरएति वा, अणिरएति वा, अवि अंतसो तणमायमवि 2 // तं च पिहुई सेणं पुढोभूतसमवातं जाणेजा, तंजहा-पुटवी एगे महन्भूते श्राऊ दुच्चे महन्भूते तेऊ तच्चे महन्भूते वाऊ चउत्थे महन्भूते यागासे पंचमे महन्भूते, इच्चेते पंच महन्भूया अणिम्मिया अणिम्माविता अकडा णो कित्तिमा णो कडगा अणाझ्या अणिहणा अवंझा अपुरोहिता सतंता सासता अायछट्टा, पुण एगे एवमाहु-सतो णस्थि विणासो असतो णत्थि संभवो 3|| एतावताव जीवकाए, एतावताव अस्थिकाए, एतावताव सव्वलोए, एतं मुहं लोगस्स करणयाए, अवियंतसो तणमायमवि // से किणं किणावेमाणे हणं घापमाणे पयं पयावेमाणे अवि अंतसो पुरिसमवि कीणित्ता घायइत्ता एत्थंपि जाणाहि णत्थित्थदोमो, ते णो एवं विप्पडिवेदेति, तंजहा-किरियाइ वा जावणिरएइ वा, एवं ते विख्वस्वेहिं कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाइं समारभति भायणाए, एवमेव ते श्रणारिया विप्पडिवन्ना तं सदहमाणा तं पत्तियमाणा जाव इनि, ते णो हव्वाए णो पाराए, अंतरा कामभोगेसु जाव विसराणा, दोच्चे पुरिसजाए पंचमहत्भूतिएत्ति याहिए 5 // सूत्रं 10 // ग्रहावरे तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए इति थाहिज्जइ, इह खलु पादीणं वा (6) सतेगतिया मणस्सा भवंति अणुपुट्वेण लोयं उववन्ना, तं०अारिया वेगे जाव तेसिं च णं महंते एगे राया भवइ जाव संणावडपुत्ता, तेसिं च णं एगतीए सही भवड, कामं तं समणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा मए एस धम्मे सुयक्खाए सुपन्नत्ते भवइ 1 // इह खलु धम्मा पुरिसादिया पुरिसोत्तरिया पुरिसप्पणीया पुरिमसंभूया पुरिसपजोनिता पुरिसश्रभिसमगणागया पुरिसमेव अभिभूय चिठंति, से जहाणामए गंडे

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122