Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 86
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 216 एगच्चायो पाणाइवायायो पडिविरता जावजीवाए एगच्चायो अप्पडिविरया जाव जे यावराणे तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मंता परपाणपरितावणकरा कज्जंति ततोवि एगच्चायो अप्पडिविरया 1 // से जहाणामए समणोवासगा भवंति अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुराणपावा यासवसंवरवेयणाणिजराकिरियाहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज(जा)देवासुरनागसुवराणजवखरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाश्रो पावय. णायो अणइक्कमणिज्जा इणमेव निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिवकंखिया निबितिगिच्छा लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा अट्टिमिंजपेम्माणुरागरत्ता अयमाउसो / निग्गंथे पावयणे अढे अयं परमठे सेसे अणठे उसियफलिहा अवंगुयदुवारा अचियत्तंतेउरपरघरपवेमा चाउद्दसट्टमुद्दिट्टपुरिणमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा समणे निग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणेणं योसहभेसज्जेणं पीठफलगसेजासंथारएणं पडिलाभेमाणा बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावमाणा विहरंति 2 // ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणंति पाउणित्ता याबाहंसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पच्चक्खायंति बहूई भत्ताई पच्चक्खाएत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति बहूई भत्ताई अणसणाए छेइत्ता पालोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा–महडिएसु महज्जुइएसु जाव महासुक्खेसु सेसं तहेव जाव एम ठाणे यायरिए जाव एगंतसम्मे साहू / तच्चस्स ठाणस्स मिसगस्स विभंगे एवं श्राहिए 3 // अविरई पडुच्च बाले पाहिजइ, विरई पडुच्च पंडिए पाहिजइ, विरयाविरइं पडुच्च बालपंडिए पाहिज्जइ, तत्थ णं जा सा सव्वतो अविरई एस ठाणे श्रारंभट्टाणे

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