Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 69
________________ 202 ] _ [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः ... // अथ द्वितीयं क्रियास्थानाख्याध्ययनम् // सुयं मे थाउसंतेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु किरियागणे णामज्झयणे पराणत्ते, तस्त णं अयमटठे-इह खलु संजूहेणं दुवे ठाणे एवमाहिज्जंति, तंजहा-धम्मे चेव अधम्मे चेव उपसंते चेव अणुवसते चेव 1 // तस्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स ग्रहम्मपक्खस्स विभंगे तस्स णं अयमाठे पराणत्ते, इह खलु पाईणं वा 6 संतेगतिया मणुस्सा भवंति, तंजहा-यारिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे णीयागोया वेगे कायमंता वेगे रहस्समंता वेगे सुवरणा वेगे दुव्वराणा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे 2 // तेसिं च णं इमं एतास्वं दडसमादाणं संपेहाए तंजहा-णेरइएसु वा तिरिक्खजोणिएसु वा मणुस्सेसु वा देवेसु वा जे यावन्ने तहप्पगारा पाणा विन्नू वेयणं वेयंति 3 // तेसि पि य णं इमाइं तेरस किरियागणाई भवंतीति एवमक्खायं, तं. जहा-अट्टादंडे 1 अणट्ठादंडे 2 हिंसादंडे 3 अकम्हादंडे 4 दिट्ठीविपरियासियादंडे 5 मोसवत्तिए 6 अदिन्नादाणवत्तिए 7 अज्झत्थवत्तिए 8 माणवत्तिए 1 मित्तदोसवत्तिए 10 मायावत्तिए 11 लोभवत्तिए 12 इरियावहिए 13 ॥सूत्रं 16 // ___ पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिएत्ति पाहिज्जइ, से जहाणामए केइ पुरिसे श्रायहेउं वा णाइहेउं वा यगारहेउं वा परिवारहउँ वा मित्तहेउं वा णागहेडं वा भूतहेउं वा जक्खहेउं वा तं दंडं तसथावरेहिं पाणहिं सयमेव णिमिरिति अंगणेणवि णिसिरावेति अराणपि णिसिरंतं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जति पाहिज्जाइ, पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिएत्ति अाहिए // सूत्रं 17 // . अहावरे दोच्चे दंडसमादाणे अणट्ठादंडवत्तिएत्ति पाहिज्जइ, से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते णो अच्चाए णो जिणाए

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