Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 83
________________ 216 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः गरगा असुभा णरएसु वेयणायो 1 // णो चेव णरएसु नेरइया णिहायंति वा पयलायंति वा सुई वा रतिं वा धितिं वा मतिं वा उपलभंते, ते णं तत्थ उज्जलं विउलं पगाढं कडुयं ककसं चंडं दुक्खं दुग्गं तिव्वं दुरहियासं णेरइया वेयणं पचणुभवमाणा विहरंति 2 // सूत्रं 36 // से जहाणामए रुक्खे सिया पव्वयग्गे जाए मूले छिन्ने अग्गे गरुए जयो णिराणं जो विसमं जयो दुग्गं तयो पवडति, एवामेव तहप्पगारे पुरिसजाए गन्भातो गम्भं जम्मातो जम्मं मारायो मारं णरगायो णरगं दुक्खायो दुक्खं दाहिणगामिए ओरइए कराहपक्खिए आगमिस्साणं दुल्लभबोहिए यावि भवइ 1 // एस गणे अणारिए अकेवले जाव असम्बदुक्खपहीणमग्गे एगंतमिच्छे असाहू पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए 2 // सूत्रं 37 // ग्रहावरे दोच्चस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिजइ-इह खलु पाइणं वा 4 संतेगतिया मणुस्सा भवंति, तंजहा-अणारंभा अपरिगहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा जाव धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, सुसीला सुब्वया सुप्पडियाणांदा सुसाहू सम्वता पाणातिवायायो पडिविरया जावजीवाए जाव जे यावन्ने तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मता परपाणपरियावणकरा कज्जति ततो विपडिविरता जावजीवाए 1 // से जहाणामए अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया एसणासमिया श्रायाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियाममिया मणसमिया वयसमिया कायसमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुतिंदिया गुत्तवंभयारी अकोहा अमाणा अमाया अलोभा संता पसंता उवसंता परिणिवुडा श्रणासवा अग्गंथा छिन्नमोया विरुवलेवा कंसपाइ व मुकतोया संखो इव णिरंजणा जीव इव अपडिहयगती गगणतलंपिव निरालंबणा वाउरिव अपडिबद्धा सारदसलिल व सुद्धहियया पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा कुम्मो इव गुतिंदिया विहग इव विप्पमुक्का खग्गिंविसाणं व

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