Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ अथ श्री सूत्रकृतांगे द्वितीयः श्रुतस्कन्धः / // अथ प्रथमं पौण्डरीकाख्याध्ययनम् // सुयं मे पाउसंतेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु पोंडरीए णामज्झयणे, तस्स णं अयमठे पराणत्ते-से जहाणामए पुक्खरिणी सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खला लट्ठा पुंडरिकिणी पासादीया दरिसणीया अभिरुवा पडिख्वा, तीसे णं पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोंडरीया बुझ्या, अणुपुबुट्ठिया असिया रुइला वराणमता गंधमंता रसमंता फासमंता पासादीया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा, तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं परमवरपोंडरीए बुइए, अणुपुबुट्ठिए उस्मिते रुइले वनमंते गंधमंते रसमंते फासमंते पासादीए जाव पडिरूवे 1| सव्वावंति च णं तीसे पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमयरपोंडरीया बुझ्या अणुपुबुट्ठिया ऊसिया रुइला जाव पडिरूवा, सव्वावंति च णं तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगं महं पउमवर. पोंडरीए बुइए अणुपुवुट्ठिए जाव पडिरूवे २॥सू० 1 // अह पुरिसे पुरित्थिमायो दिसायो पागम्म तं पुक्खरिणी तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुबुट्टियं ऊसियं जाव पडिरूवं 1 / तए णं से पुरिसे एवं वयाती-अहमंसि पुरिसे खेयन्ने दुसलेपं डिते वियत्ते मेहावी अवाले मग्गत्थे मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरक्कमराणू अहमेयं परमवरपोंडरीयं उन्निक्खिविस्तामित्ति कट्टु इति बुया (बुच्चा) से पुरिसे अभिक्कमेति तं पुक्खरिणी, जावं जावं च णं अभिकमेइ तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं श्रपत्ते पउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए, अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि निसगणे पढमे पुरिसजाए ! 2 ॥सू०२॥ अहावरे

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122