Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 54
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 1 ] [187 दोच्चे पुरिसजाए, ग्रह पुरिसे दक्षिणायो दिसायो पागम्म तं पुवखरिणिं तीसे पुरणरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं (महन्तं) एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुवुट्ठियं पासादीयं जाव पडिरूवं 1 / तं च एत्थ एगं पुरिसजातं पासति पहीणतीरं अपत्नपउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए अंतग पोखरिणीए सेयंसि णिसन्नंसु, तए णं से पुरिसे (तं पुरिसं) एवं वयासी-ग्रहो णं इमे (अयं) पुरिसे अखेयन्ने अकुसले अपंडिए अवियत्ते श्रमेहावी बाले णो मग्गत्थे णो मग्गविऊ णो मग्गस्स गतिपरक्कमराणू जन्नं एस पुरिसे, अहं खेयन्ने कुसले जाव पउमवरपोंडरीयं उन्निविखविस्सामि 3 / णो य खलु एयं पउमवरपोंडरीयं एवं उनिक्खेवियध्वं जहा णं एस पुरिसे मन्ने, ग्रहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पंडिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गत्थे मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरकमराणू ग्रहमेयं पउमवरपोंडरीयं उन्निविखविस्सामित्तिकट्टु इति वुच्चा से पुरिसे अभिकमे तं पुक्खरिणिं, जावं जावं च णं अभिकमेइ तावं तावं च णं हिंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसन्ने दोच्चे पुरिसजाते 4 // 3 // ग्रहावरे तच्चे पुरिसजाते, यह पुरिसे पच्चत्थिमायो दिसायो पागम्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं एगं महं पउमवरपोंडरीयं अणुपुव्वुट्ठियं जाव पडिरूवं 1 / ते तत्थ दोन्नि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए जाव सेयंसि णिसन्ने 2 / तए णं से पुरिसे एवं वयासी-ग्रहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना अकुसला अपंडिया अवियत्ता अमेहावी बाला णो मग्गत्था णो मग्गविऊ णो मग्गस्स गतिपरक.मराणू जं णं एते पुरिसा एवं मन्ने-श्रम्हे एतं पउमवरपोंडरीयं उरिणक्सिविस्सामो 3 / नो य खलु एयं पउमवरपोंडरीयं एवं उनिक्खेवेतव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पंडिए वियत्ते मेहावी अबाले मग्गत्थे मग्गविऊ

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