Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 56
________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 1 ] [ 186 भिक्खू णो अभिकमे तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा सद्द कुजा-उप्पयाहि खलु भो पउमवरपोंडरीया ! उप्पयाहि अह से उप्पतिते पउमवरबोंडरीए // सूत्रं 6 // किट्टिए नाए समणाउसो!. अठे पुण से जाणितब्वे भवति, भंतेत्ति समगां भगवं महावीरं निग्गंथा य निग्गंथीयो य वंदंति नमसंति वंदेतानमंसित्ता एवं वयासि-किट्टिए नाए समणाउसो! थट्टपुण से ण जाणामो समणाउसोत्ति, समणे भगवं महावीरे ते य बहवे निग्गथे य निग्गंथीयो य थामतेता एवं वयासी-हंत समणाउसो ! बाइक्खामि विभावेमि किटटेमि पवेदेमि सटुं सहेउं सनिमित्तं भुजो भुजो उपदंसेमि से बेमि / / ॥सूत्रं ७॥लोयं च खलु मए अप्पाहटु समकाउसो ! सा पुक्खरिणी बुझ्या, कम्मंच खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो ! से उदए बुइए. कामभोगे य खलु मए अप्पाहटु समणाउसो! से सेए बुइए, जणं जाणवयं च खलु मए अप्पाहट्टु समणाउसो ! ते वहवे पउमवरपोंडरीया बुइया, रायाणं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से एगे महं परमवरपोंडरीए बुइए, अन्नउत्थिया य खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो! ते चत्तारि पुरिसजाया बुइया, धम्मं च खलु मए अप्पाह१ समणाउसो ! से भिक्खू बुइए, धम्मतित्थं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से तीरे बुइए, धम्मकह च खलु मए अप्पाहट्ट समणाउसो ! से सद्दे बुइए, निव्वाणं च खलु गए अप्पाहट्ट समणाउसो ! से उप्पाए बुइए, एवमेयं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से एवमेयं बुझ्यं ॥सूत्रं 8 // इह खलु पाईणं वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा संतेगतिया मगुस्सा भवंति अणुपुब्वेणं लोग उववन्ना, तंजहा-ग्रारिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोत्ता वेगे णीयागोया वेगे कायमंता वेगे रहस्समंता वेगे सुवन्ना वेगे दुव्वन्ना वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे 1 / तेसिं च णं मणुयाणं एगे राया भवइ, महया(महा)हिमवंत-मलय-मंदरमहिंदसारे अच्चंतविसुद्धरायकुलवंसप्पसूते निरंतररायलक्खणविराइयंगमंगे बहुयणबहुमाणपइए सज्व


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