Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // अथोपसर्गपरिज्ञाख्ये तृतीयाध्ययने प्रथमोद्देशकः // सूरं मराणाइ अप्पाणं, जाव जेयं न पस्सती / जुमंतं दधम्माणं, सिसुपालो व महारहं // 1 // पयाता सूरा रणसीसे, संगामंमि उव द्विते / माया पुतं न याणाइ, जेएण परिविच्छए // 2 // एवं सेहेवि अप्पुटठे, भिक्खायरियायकोविए / मूरं मराणति अप्पाणं, जाव लूहं न सेवए // 3 // जया हेमंतमासंमि, सीतं फुसइ सवायगं (सव्वगं)। तत्थ मंदा विसीयंति, रजहीणा व खत्तिया // 1 // पुठे गिम्हाहितावेणं, विमणे सुपिवासिए / तत्थ मंदा विसीयंति, मच्छा अप्पोदए जहा // 5 // सदा दत्तेसणा दुक्खा, जायणा दुप्पणोल्लिया / कम्मत्ता दुभगा चेव, इचाहंसु पुढोजणा // 6 // एते सद्दे अचायंता, गामेसु गरेसु वा / तत्थ मंदा विसीयंति, संगामंमिव भीरुया // 7 // अप्पेगे खुधियं भिवखु, सुणी डंसति लूमए / तत्थ मंदा विसीयंति, तेउपुट्ठा व पाणिणो // 8 // यप्पेगे पडिभासंति, पडिपंथियमागता॥ पडियारगता एते, जे एते एव जीविणो // 6 // अप्पेगे वइ जुति, नगिणा पिंडोलगाहमा / मुडा कंडूविणटुंगा, उज्जल्ला असमाहिता // 10 // एवं विप्पडिवन्नेगे, अप्पणा उ अजाणया। तमायो ते तमं जंति, मंदा मोहेण पाउडा // 11 // पुट्ठो य दंसमप्सरहिं, तणफासमचाइया / न मे दिटठे परे लोए, जइ परं मरणं सिया // 12 // संतत्ता केसलोएणं, बंभचेरपराइया / तत्थ मंदा विसीयंति, मच्छा विष्ठा व (पविठ्ठा) केयणे // 13 // श्रायदंडसमायारे, मिच्छासंठियभावणा / हरिसप्पयोसमावन्ना, केई लूसंतिनारिया / 14 // अप्पेगे पलियते सिं, चारो चोरोत्ति सुव्वयं / बंधति भिवख्यं बाला, कसायवयणेहि य / 15 // तत्थ दंडगा संवीते, मुट्ठिणा अदु फलेण वा / नातीणं सरती बाले, इत्थी वा कुद्धगामिणी // 16 // एते भो ! कसिणा फामा, फरुसा दुरहियासया। हत्थी वा मरमंवित्ता, कीवाऽवस गया गिहं
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