Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ 162 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः भितप्पमाणा, मच्छा व जीवंतुवजोतिपत्ता // 13 // संतच्छणं नाम महाहितावं, ते नारया जत्थ असाहुकम्मा। हत्थेहिं पाएहि य बंधिऊणं, फलगं व तच्छंति कुहाडहत्था // 14 // रहिरे पुणो वच्चसमुस्सियंगे, भिन्नुत्तमंगे वरिवत्तयंता / पयंति णं णेरइए फुरते, सनीयमच्छे व अयोकवल्ले // 15 // नो चेव ते तत्थ मसीभवंति, ण मिजती तिव्यभिवेयणाए / तमाणुभागं अणुवेदयंता, दुक्खंति दुक्खी इह दुक्कडेणं // 16 // तहिं च ते लोलणसंपगाढे, गाढं सुतत्तं अगणिं वयंति / न तत्थ सायं लहती भिदुग्गे, अरहिया (अरभिया) भितावा तहवी तविति // 17 // से सुचई नगरवहे व सद्दे, दुहोवणीयाणि पयाणि तत्थ / उदिण्णकम्माण उदिराणकम्मा, पुणो पुणो ते मरहं दुहेति // 18 // पाणेहिं णं पाव वियोजयंति, तं भे पयक्खामि जहातहेणं / दंडेहिं तत्था सरयंति बाला, सव्वेहिं दंडेहि पुराकरहिं // 11 // ते हम्ममाणा णरगे पडंति, पुन्ने दुरूपस्स महाभितावे / ते तत्थ चिट्ठति दुरूवभक्खी, तुझंति कम्मोवगया किमोहिं // 20 // सया कसिणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणीयं अतिदुक्खधम्मं / अंसु पक्खिप्प विहत्तु देहं, वेहेण सीसं सेभितावयंति // 21 // छिदंति बालस्स खुरेण नवकं, उठेवि छिदंति दुवेवि करणे / जिभं विणिकस्स विहत्थिमित्तं, तिक्खाहिं सूलाहिभितावयंति // 22 // ते तिप्पमाणा तलसंपुडंव, राइंदियं तत्थ थणंति बाला / गति ते सोणियप्वयमंसं, पजोइया खारपइद्धियंगा // 23 // जइ ते सुता लोहितपूथपाई, बालागणी तेयगुणा परेणं / कुभी महंताहियपोरसीया, समूसिता लोहियपूयपुगणा // 24 // पक्खिप्प तासु पययंति बाले, अट्टस्तरे ते कलुणं रसंते। तराहाइया ते तउतंवतत्तं, पजिजमाणा ट्टतरं रसंति // 25 // अप्पेण अप्पं इह वंचइत्ता, भवाहमे पुब्बसते सहस्से / चिठ्ठति तत्था बहुकूरकम्मा, जहा कडं कम्म तहासि भारे // 26 // समजिणित्ता कलुसं अणज्जा, इठेहिं कंतेहि य विप्पहूणा / ते दुन्भिगंधे

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122