Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 14
________________ ८६ ८२ योगप्रत्याख्यानके फलका वर्णन ८३ शरीरके प्रत्याख्यानका वर्णन ३०३-३०४ ८४ सहायप्रत्याख्यानके फलका वर्णन ३०५-३०६ भक्तप्रत्याख्यानके फलका वर्णन ३०७-३०८ सद्भाव प्रत्याख्यानके फलका वर्णन ३०९-३१० प्रतिरूपता और वैयावत्यके फलका वर्णन ३११-३१४ ८८ सर्वगुणसंपन्नताके फलका वर्णन ८९ वीतरागता और शान्तिके फलका वर्णन ३१६-३१८ मुक्तिका और आर्जवताके और मार्दवके फलका वर्णन ३१९-३२२ ९१ भावसत्यके फलका वर्णन ३२३-३२४ ९२ करणसत्यके फलका वर्णन ३२५-३२६ ९३ योगसत्यके फलका वर्णन ३२७ ९४ मनोगुप्तिके फलका वर्णन ३२८-३२९ ९५ वचनगुप्ति और कायगुप्तिके फलका वर्णन ३३०-३३२ ९६ मनः समाधारणके फलका वर्णन ९७ वाक समाधारणताके फलका वर्णन ३३५-३३६ ९८ कायसमाधारणके फलका वर्णन ३३७-३३८ ९९ ज्ञानसंपन्नताके फलका वर्णन ३३९-३४० १०० दर्शनसंपन्नताके फलका वर्णन ३४१-३४३ १०१ चारित्र संपन्नताके फलका वर्णन ३४४-३४५ १०२ श्रोत्रेन्द्रिय निग्रहके फलका वर्णन ३४६ १०३ चक्षुरिन्द्रिय निग्रह के फलका वर्णन ३४७ १०४ घ्राणेन्द्रिय निग्रहका वर्णन १०४ जिस्वेन्द्रिय निग्रहके फलका वर्णन ३४९१०६ स्पर्शेन्द्रिय निग्रहके फलका वर्णन ३५० १०७ मानविजयके फलका वर्णन ३५१-३५२ १०८ मायाविजय और लोभविजयके फलका वर्णन १०९ प्रेम-द्वेष-मिथ्यादर्शन विजयके फलका वर्णन ३५४-३५९ ११० शैलेशीभावके फलका वर्णन ३६०-३६३ १११ सकलकर्मक्षयके फलका वर्णन ११२ अध्ययनका उपसंहार और अध्ययन समाप्ति ३६६-३६७ WWW SU८ ३४८ उत्तराध्ययन सूत्र : ४

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