Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ २५ शठताके स्वरूपका वर्णन ११२-१२८ २६ कुशिष्योंको छोड़कर गर्गाचार्य मुनिका आत्मकल्याणमें प्रयत्नशील होना १२९-१३० २७ अठाईसवें अध्ययनका प्रारम्भ और मोक्षमार्गके स्वरूप । और उनके फलका कथन १३१-१३६ २८ ज्ञान विषयका वर्णन १३७-१३८ २९ द्रव्यादिके लक्षणका वर्णन १३९-१४४ ३० द्रव्यभेदका वर्णन १४५-१४६ ३१ धर्मादिके भेद और उनके लक्षणका वर्णन १४७-१४८ ३२ काल और जीवके लक्षणका वर्णन १४९-१५० ३३ पुद्गल और पर्यायके लक्षण २५१-२५२ ३४ नव तत्वका कथन और उनके कथनका कारण १५३-१५६ ३५ सम्यक्त्ववान जीवके भेदका कथन १५७-१५८ ३६ निसर्गरुचिका वर्णन १५९-१६० ३७ उपदेशरुचि और आज्ञारुचिका वर्णन १६२-१६३ ३८ सूत्ररुचि, बीजरुचि, अभिगमरुचि और विस्ताररुचि का वर्णन १६४-१६६ ३९ क्रियारूचि और संक्षेपरुचिका कथन । १६७-१६८ धर्मरुचिका कथन और सम्यक्त्ववानके लक्षण १६९-१७० ४१ सम्यवत्वका माहात्म्य १७१-१७२ ४२ सम्यक्त्वके आठ प्रकारके आचारका वर्णन १७३-१७६ ४३ चारित्ररूप मोक्षमार्गके भेदका वर्णन १७७-१८० ४४ यथाख्यात चारित्र किसको होता है ? १८१-१८२ ४५ ज्ञानादिके फलका वर्णन १८३-१८४ ४६ मोक्षगतिका कथन १८५-१८६ ४७ उन्तीसवें अध्ययनका प्रारम्भ १८७ ४८ उन्तीसवां अध्ययनकी अवतरणिका १८८-१९१ ४९ संवेगादि तिहत्तर पदार्थके नामनिर्देश १९२-१९६ ५० संवेगके स्वरूपका वर्णन १९७-२०० ५१ निर्वेदके स्वरूपका वर्णन २०१-२०३ ४० उत्त२॥ध्ययन सूत्र:४

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