Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ ५२ धर्मश्रद्धाका वर्णन २०४-२०७ ५३ गुर्वादिशुश्रूषाका वर्णन २०८-२११ ५४ आलोचनाके स्वरूपका वर्णन २१२-२१५ ५५ स्वदोष निंदाके फलका वर्णन २१६-२१८ ५६ गोंके स्वरूपका वर्णन २१९-२२० ५७ सामायिक और चतुर्विंशति स्तव स्तुतिका वर्णन २२१-२२४ ५८ वन्दनाके फलका वर्णन २२५-२२६ ५९ प्रतिक्रमणके फलका वर्णन २२७-२२८ ६० कायोत्सर्गके फलका वर्णन २२९-२३० ६१ प्रत्याख्यानके फलका वर्णन २३१-२३३ ६२ स्तुतिके फलका वर्णन २३४-२३६ ६३ कालप्रतिलेखनाके फलका वर्णन २३७-२५६ ६४ प्रायश्चित्तकरणके फलका वर्णन २५७-२५८ ६५ क्षमायाचना और स्वाध्यायके फलका वर्णन २५९-२६२ ६६ वाचनाके फलका वर्णन २६३-२६४ ६७ प्रतिप्रच्छनाके फलका वर्णन २६५-२६६ ६८ परिवर्तनाके फलका वर्णन २६७६९ अनुप्रेक्षाके फलका वर्णन २६८-२७३ ७० धर्मकथाके फलका वर्णन २७४-२७५ ७१ श्रुतकी आराधना और एकाग्रमनका संनिवेशनका वर्णन २७६-२७८ ७२ संयमपालन और तपके फलका वर्णन २७९-२८० ७३ व्यवदानके फलका वर्णन २८१-२८२ ७४ सुखशातके फलका वर्णन २८३-२८४ ७५ अप्रतिबद्धताके फलका वर्णन २८५-२८६ ७६ विवक्तशयनासनताके फलका वर्णन २८७-२८९ ७७ विनिवर्तनाके फलका वर्णन २९०७८ संभोगप्रत्याख्यानके फलका वर्णन २९१-२९५ ७९ उपधिप्रत्याख्यानके फलका वर्णन २९६-२९७ ८० आहारप्रत्याख्यानके फलका वर्णन २९८-२९९ ८१ कषायप्रत्याख्यानके फलका वर्णन ३००-३०१ उत्तराध्ययन सूत्र :४

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