Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 678
________________ मूलसद्दो जहा यम् जहाणामए बीयं परिसिटुं-सद्दाणुक्मो १६१ सक्कयत्थो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ २०९५[२], २१०४, १६०४[१], १६१३ २१०७, २११०, २११३, [१], १६१४, १८११, २११५, २११७[१], २०५२ [३], २१११, २११८[१], २१३२, २१५४[१], २१६५ २१३३, २१३२, २१४६ ।। यत् ५४[७] गा. ८५, तः २१५२, २१५८ ५४[१०] गा. १००, [१-२], २१६० तः २११ गा. १६१-१६२ गा. २१६४, २१७० [१], १७१, १११३, १६७९ २१७२, पृ. २७१ टि.६, तः १६८१[१], १६८२ पृ. २७५ टि. ६, पृ ३०८ तः १६८६, १९०७, टि. १, पृ. ४२२ टि.३, पृ. २७१ टि. ४ पृ. ४३२ टि. १ १०९० यथानामकः ११२१, ,, (स. द्वि.) यस्मिन् १६१४ तः १२१५[१-३], १२२२, १६ १६[२], १६१९, १२२६ तः १२३१, १६२०, १६३६, १९६३ १२३३, १२३५, १२३६, +जंगला जङ्गलेषु १०२ गा. ११३ १२३८, १८६४ जंत. यन्त्र १७७, १७८[१], यथानामकम् १२२०, १८८ १२२६ तः १२३१, जति यान्ति ६४७ १२३३, १२३७ जम्बू:-वृक्षः ४० यथानामिका १२२६ तः जंबुद्दीवं जम्बूद्वीपम् २१६९ १२२८, १२३०, १२३१, जंबुद्दीवे जम्बूद्वीपः १००३ [१], १२३३, १२३७, १२३८, १००३ [२] गा. २०४, २१७६ २१६९ यथानामकाः १११९, जम्बूद्वीपे १७९ [१], १८६४, २०५२ [२] १८० [१], १८२ [१], यथैव १९१[१], १८३ [१], १९० [१], १९७[१], २०० [२], १९७ [१], १९८ [१], ६६५[१], ७८९, ९८३ [२], १०६७, ११२७, जंबूफलए जम्बूफलकम्-जम्बूफलम् ११५१,११८० [६,१०], १२२६ ११८४, ११९६, १२०७ जंबूफलकालिया जम्बूफलकालिका[१], १२०९, १२१७, मद्य विशेषः १२३७ १२४८, १२४९, १२६४ जा या ५० गा. ४३,५४[३] [१], १४३४, १५०७ गा. ५९, ५४[४] गा. [३], १५५२, १५९१, ६९, ५४ [५] गा. ७६ १५९३, १५९९ [१], | तः ७९, ५४[६] गा. ८० जंबु जहेव १०९८ आ ९ [२]-११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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