Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 887
________________ ३७० मूलसदो ० सम्मुच्छिमच उपयथलयर पंचेंद्रियति रिक्खजोणियाणं सम्मुच्छिमजलयर - सम्मूच्छिमजलचरतिरिक्खजोणि- तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रि पंचेंद्रियभोरा- यौदा रिकशरीरम् लिय सरीरे ० ܕܕ ܘ पण्णवणासुत्तपरिसिट्ठाई मूलसद्दो सम्मुच्छिमभुय परिसप्पथलयर - पंचेंदियतिरिक्ख जोणिएहिंतो Rece सम्मूच्छिम चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानाम् सम्मुच्छिमजलयर - सम्मूच्छिमजलचरपंचेंदियतिरिक्ख- पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिजोणिएहिंतो केभ्यः ६३९[४-५] 35 ६३९[५] सम्मुच्छिमजलयर - सम्मूच्छिमजलचर पञ्चेन्द्रि पंचेंदियतिरिक्ख यतिर्यग्योनिकानाम् जोणियाणं ३७६ [१] ३७६ [२-३] 09 " Jain Education International "" सुकाइ ३७९[२-३] १४८४[१-२] सम्मुच्छिमजलयरा सम्मूच्छिमजलचराः ० सम्मुच्छिमति रिक्खजोणिय पंचेंदियओरालियसरीरे सम्मुच्छिमतिरि- सम्मूच्छिमतिर्यग्योनिकक्खजोणिय पंचेंदि- पञ्चेन्द्रियवै क्रियाशरीरम् rasव्वयसरी रे १५१८ [१] समुच्छिमपज्जत्तय सम्मूच्छिमपर्याप्त कतिर्यतिरिक्खजोणियाणं ग्योनिकानाम् ३७३ [१] सम्मुच्छिमपंचें सम्मूच्छिम पञ्चेन्द्रियति - ग्योनिकाः ५८३, ६३४, दियतिरिक्खजोणिया ११८० [५, ८] सम्मुच्छिमपंचेंदि- सम्मूच्छिमपञ्चेन्द्रियतिर्ययतिरिक्खजोणि- ग्योनिकानाम् ३७३ [१], याणं ७४६, ७६०, ७६९, ११६३ [२], ११८० १४९८ [३] सम्मूच्छिमतिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियौदा रिकशरीरम् १४८४ [२], १४९७ [2] [२,५-७] ,, ३७३[२-३], पृ. १६५ टि. १ ,, सम्मुच्छिम भुपरि सप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्ख जोणियाणं १३ सक्कत्थो सम्मूच्छिमभुजपरिसर्पस्थलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्यः ६३९ [१६ १७] ६३९ [१७] सम्मूच्छिमभुज परिसर्पस्थलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानाम् ३८५ [१] ३८५ [२-३] सम्मुच्छिममणुस्सा सम्मूच्छिममनुष्याः ९२, सुतंकाइ ९३, ३३४, ५८५ सम्मुच्छिममणु स्साण ७६०, ७६९ सम्मुच्छिममणु- ,, ३९१, ७४९, ११६४, स्साणं [२] सम्मुच्छिममणु- सम्मूच्छिम मनुष्येषु ६७२ स्से सु [५] सम्मुच्छिममणुस्से - सम्मूच्छिममनुष्येभ्यः ६३९ हिंतो [२३],६५०[११],६६२ For Private & Personal Use Only सम्मूच्छिममनुष्याणाम् [२] सम्मुच्छिममणूस सम्मूच्छिममनुष्याहारकआहारगसरीरे शरीरम् १५३३ [३] सम्मुच्छिममणूस- सम्मूच्छिममनुष्यक्षेत्रोपखेत्तोववायगती पातगतिः १०९५ सम्मुच्छिममणूस सम्मूच्छिममनुष्यपञ्चेन्द्रिपंचेंदिओ - यौदारिकशरीरम् लियसरी रे १४८७ [१] सम्मूच्छिममनुष्य पञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरम् सम्मुच्छिममणूसपंचेंद्रियवेउव्वियसरी रे १५१९ [१] सम्मुच्छिममणूसा सम्मूच्छिममनुष्याः ६३४ सम्मुच्छिमा सम्मूच्छिमाः ५६ [१],५८ [१], ६८ [१-२], ७५ [१-२], ८४ [१-२], ८५ [२-३], ९१ [१-२], १४८६ [१-२], १५०० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934