Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 736
________________ २१९ मूलसहो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ [१,४], १०४८ [१-२,४], १०५० [३], १०५५[४-५], १०६६ [१] वनस्पतिविशेषः ४९ गा. दर्वीकराः-सर्पभेदः ७८, दवट्रयाते ० दव्वदेवाणं दव्वपएसप्पबहुं दव्वहलिया ०दव्वा दव्वाई बीयं परिसिटुं-सदाणुक्कमो सक्कयत्यो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो [१], ५४८[१], ५५० [१], ५५१[१], ५५२ [१], ५५४[१,३], ५५५[१,३], ५५६[१], ५५७[१], ७७७, ७७९, दवी ७८०, ८०२ तः ८०५, १२४७ तः १२४९, दृव्वीकरा १५६५, पृ. १०० टि. २ द्रव्यार्थतया ४८७[१], दवेसु ४८९ [१], ५०४, ५२९ [१], ५४१[१] ० दव्वेसु द्रव्यदेवानाम् १४७० द्रव्य-प्रदेशाल्पबहुत्वम् दव्वेंदिया १४७४ गा. २१४ वनस्पतिविशेषः ५२ द्रव्याणि २७५, २८० । दस , ३२८, ३२९, ८७७[१], ८७८ तः ८८०, ८८७, ८८८[१], ८८९ तः ८९३, १११७ द्रव्याणाम् ११० गा. १२७ " ८८१, ८८७ २७५ द्रव्येन्द्रियम् पृ.२५३ टि.१ .. , पृ. २५३ टि.२ द्रव्येन्द्रियेषु १०६४, १०६७ द्रव्येन्द्रियाणि १००६ गा. २०८ ,, १०२४ तः १०२६ [१], १०२७[१], १०२८[१-३], १०३०, १०३१[१], १०३६, १०३८[१], १०४१ [१-४,८], १०४३ [३,५-६], १०४५[१], १०४६ [१,८], १०४७ दवाण दव्वाणं ० दवाणं दविदिए ० दविदिए दधिदिएम द्रव्येषु १५७७[१], १५७८[१], १६३९ ,, १५७६ [१], १५७९ [१], १६३९, १६४० द्रव्येन्द्रियाणि १०४३ [१], १०५४[१], १०५५[१], १०६७ दश ७५[४], ८४[४], ९१[४] गा. १११, १७१, १७७, १७८ [१-२], १८८, १९६, २०६ [२] गा. १५६, ३३५[१-३], ३३६ [१,३], ३३९[१,३], ३४० [१, ३], ३४३ तः ३५२ सूत्राणां प्रथम-तृतीयकण्डिके, ३६६[१, ३], ३६८[१, ३], ३९३ [१,३], ३९४[१, ३], ४१९[१, ३], ४२० [१,३], ५९२, ७२५ तः ७२७,८९१,१०३२[२], १०५८, १०६३, १०६५, १०८० [१०], १२६१, १२६४ [२], १२६७, १२७० [२], १३३७, १३४०, १४१४[१], १४१५[१], १४१६ [२], १४७२, +दन्विदिय दग्विदिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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