Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३२४
मूलसद्दो
रसचरिमेणं
रणामे
• रसणा मे
रसतो
रसं
रसा
० रसा
रसाई
रसाणं
रसाणि
रसादेसेणं
रसावरणे
रसिंदियताए
रसनाम
रसतः १० [२], १२
[६-७], १३ [१, ४-५],
८७७ [१२], १७९९, १८०१
रसपरिणताः = [3]
रसपरिणता रसपरिणया
७
रसपरिणामे + रसभेय
रसपरिणामः ९४७, ९५४ रसभेदः-वनस्पतिः ५४
[१]गा. ५१ रसवन्ति - रसोपेतानि ८७७
रसवंताई
[६, ११], १७९७ रसविण्णाणावरणे रसविज्ञानावरणम् १६७९ २१६९
रसे
• रसे
रसेणं
रसेहिं
• रसेहिं
रसो
रो
सक्कयत्थो
रसचरमेणं
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रसनाम
"
रसम् रसाः ४५८, ४६९, ४७६, ४८४,४९२,१६८१ [१],
१६८४ [१]
३३३
रसान्
९९० [४] रसानाम् १७०२ [३१] रसान् ९९० [४] रसादेशेन २५ [३], २८ [४], ३१ [४], ३४[४],
५५ [३]
१६७९
रसावरणम् रसेन्द्रियतया २०५२ [२] रसे ८२९ [२] गा. १९१
१२२९, १२३७
२१६९
"
रसेन रसैः
"
पंण्णवणा सुत्त परिसिट्टाई
मूलसद्दो
५४५
सुकाइ
८२६ [१],
८२७ [१] १६९३,
१६९४ [११]
१६९४ [११]
रसः
सो
૪૪૨
[१],५४७ [१]
८७७ [१२]
२८ [१]
रहच्छायं
राइण्णा
रहचक्कवालसंटाण- रथचक्रवालसंस्थानसंस्थितः
संठिए
राई दिएहिं राई दियतिभागेण इंदियाई
राग
रागं
रागे
० रागे
रागेण
रातिंदिसतं
रातिंदियाई
रातिंदियाणं
रातिंदियाणि
राम०
+ रायगिह
रायवलो
हंसा रायाणीनिवेसेसु रायं
० राया
०
रायाणो
सक्कत्थ
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का
२१६९
१११४
रथच्छायाम्
राजन्याः- राजन्य
कुलीनाः, कुलार्याः १०४ रात्रिन्दिवैः १७२३ रात्रिन्दिवत्रिभागेन १७२३ रात्रिन्दिवानि ५९२,
१२९६, १३१७ १८८
राग
रागम् - रक्तवर्णम् १२२० रागः - कषायभेदः १६७० रागः - रक्तवर्णः
१२२९,
१२३०
रागेण
१६७०
५९६
रात्रिन्दिवशतम् रात्रिन्दिवानि ३६० [१,३], ३६२ [१,३], ३७० [१,३], ५९१,
५९३ तः ५९५, १२८२ रात्रिन्दिवानाम् पृ. ११९
टि. १ रात्रिन्दिवानि ५७०
राम १०२गा. ११७ राजगृहम् १०२ गा. ११२ राजवल्ली ५४ [१]गा. ५० राजहंसाः राजधानीनिवेशेषु ८२
૮.
राजानम्
११०८
राजः १७९ [२] १८० [२], १८२ [२], १८३ [२], १८५ [२] १८६ [२], १९० [२], १९१ [२], २०१तः २०६ सूत्राणां द्वितीयकण्डिका राजौ १७८ [२], १८१ [२], १८४ [२], १८९ [२], १९३ [२]
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