Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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रूवं
बीयं परिसिटुं-सदाणुक्कमो
३२५ मूलसद्दो
सक्कयस्थो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो सक्यत्यो सुत्तंकाइ +रालग रालकः ५० गा. ४३ रूव
रूप २०५२ [२] रासभी रासभी पृ.२११ टि. ७ रूव.
रूप ९२१ [१] रासि राशि १९७ [१], २०१ रूवग
रूपक पृ. ६५ टि. १ [१], २०५ [१], २०६ रूवपरियारगा रूपपरिचारकाः- प्रवी[१], २०७
चारकाः २०५२ [१, ४], रासी राशिः २११गा.१७३,
२०५३, ९२१[१] रूवपरियारणं रूपपरिचारणाम्-प्रविचारासी राशिः १२२९, १२३१
रणाम् २०५२ [४] राहवः-राहुनिकायदेवाः रूवपरियारणा रूपपरिचारणा --प्रविचा१९५ [१]
रणा २०५१ [१] ०रुह
सचिः ११० गा. ११९तः रूवविसिट्ठया रूपविशिष्टता १६८५ [१] १२२ गा. १२४-१२५ रूवसच्चा रूपसत्या ८६२ गा. १२७ गा.१२९-१३० रूवसहगएसु
रूपसहगतेषु १६३९ रुहल
रुचिर १९५ [१] रूवसहगतेसु " १५७८ [१] ० रुई रुचिः ११० गा. ११९ गा.
रूपम्
८५३ १२३ गा. १२६ गा. १२८ रूवा
रूपाणि १६८१ [१], रुक्खमूला वृक्षमूलानि ५५ [३] गा.
१६८४ [१] १०७ रूवाई
,, ९९० [२], २०५२ रुक्खं
वृक्षम् १२१५ [३] रुक्खा वृक्षाः३८गा.१२,३९,४१
रूपान्-रूपात्मकान् ९९२ रुक्खाणं वृक्षाणाम् ५३ गा. ४४ ०रुक्खे
वृक्षः ४८ गा. ३८ रूविअजीव पज्जवा रूप्यजीवपर्यवाः ५००, + रुप्प रूप्यम् २४ गा. ८
५०२, ५५८ ० रुप्पपट्टे रूप्यपट्टः १२३१ रूविअजीवपण्णवणा रूप्यजीवप्रज्ञापना ४,६, रुप्पिवासहरपव्वय रुक्मिवर्षधरपर्वत १०९८ म्लेच्छजातिविशेष ९८ रूवी
बहुबीजवृक्षविशेषः ४२गा. रुयए
रुचक:-पृथ्वीकायभेदः २४ गा.१०
रूपे ८६२ गा. १९४, ,, -द्वीपः समुद्रश्च १००३
२०३२ गा. २२४ [२] गा. २०४
रूपेषु १५७८ [१], रुयग रुचक १७८ [२]
१६३९ रुचकः पृ. १४ टि. १ रेणुया रेणुका-वनस्पतिः ५४[१] रुरुः-वनस्पतिः ५४[१]
गा. ५१ गा. ४८ रोएइ रोचयति ११० गा. १२० ,, -द्विखुरपशुविशेष ७२ रोएजा रोचयेत् १४२० [४-५], रुहिर रुधिर १६७ तः १७४
१४३७ [४] .रुहिरे रुधिरम् १२६९ । रोज्झा
गवयाः
रूवेसु
रुयगे
७२
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