Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 858
________________ बीयं परिसिटुं-सद्दाणुक्कमो मूलसद्दो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ, मूलसद्दो सक्कयत्यो सुत्तंकाइ वालुयप्पभा वालुकाप्रभा ७७४ वाससतसहस्स वर्षशतसहस्र ३९५[१,३], वालुयप्पभाए वालुकाप्रभायाम् १४८, ३९७ [१, ३] १६७, ३३४,१५२९[४] वाससतसहस्साई वर्षशतसहस्राणि ६०३ बालुकाप्रभायाः १७०, वाससताई वर्षशतानि ६०१, १६९९ २१७ [४] [१], १७०० [४-५, ९, वालुयप्पभापुढ- वालुकाप्रभापृथ्वीनैर ११-१३], १७०२ [३, विगेरइएहिंतो थिकेभ्यः ५-७, ११, १३,१९-२०, वालुयप्पभापुढ- वालुकाप्रभापृथ्वीनरयिकाः विणेरइया १४१४ [२], १९८६, वाससतेहिं वर्षशतैः ४०० [१,३] वाससयाई वर्षशतानि १७०० [१०], वालुयप्पभापुढ. वालुकाप्रभापृथ्वीनैर १७०२ [८, ९, १८, विनेरइएहिंतो यिकेभ्यः २१. [५] २१-२२, २४-२७, ३६, वालुयप्पभापुढ- वालुकाप्रभापृथ्वीनैरयिकाः ३८, ४३, ४५, ५८], विनेरइया ६०, २१६ [४], ५७१, १७०३[१],१७३७[३], ६४२, ६४३ १७३९ [२] वालुयप्पभापुढ- वालुकाप्रभापृथ्वीनरयिका- वाससहस्स वर्षसहस्र ३९६ [१, ३], विनेरइयाणं णाम् १७०, ३३८ [१] __३९९ [१] • वालुयप्पभापुढ- वालुकाप्रभापृथ्वीनैरयिका- वाससहस्सति- वर्षसहस्रत्रिभागेन विनेरइयाणं णाम् ३३८ [२-३] भागेण वालुया वालुका २४ गा. ८, वाससहस्सस्स वर्षसहस्र १९५ [१] (स. ष.) १८०६ [१] वालुंके वालुकम्-चिर्भटम् ५४[८] वाससहस्साई वर्षसहस्राणि ३३५ [१, गा. ९४ ३], ३३६ [१-३], ३४३ वावपण. व्यापन्न ११० गा. १३१ तः ३५२ सूत्राणां प्रथम०वावण्णगाणं व्यापन्न कानाम् १४७० तृतीयकण्डिके, ३५४ [१, वावीण वापीनाम् ३], ३५६ [१, ३], ३५७ वावीसु वापीषु १५१,१६०,१६३ [१,३], ३५९ [१, ३], त: १६६ १७५ ३६३ [१, ३], ३६५ वर्ष-क्षेत्र १०९८ [१, ३], ३६६ [१, ३], वास वर्ष-अब्द१२८९, १३१२ ३६८ [१, ३], ३७९ वास,, ,, ६३९ [१०-११, [१, ३], ३८२ [१, ३], २१,२२,२५-२६],६४५ ३८५ [१,३], ३८८ [१, [४-६], ६४८, ६५८, ३], ३९३[१, ३], ३९४ ६६०, ६६२ [४-७], [१, ३], ६०२, १२६१, ६६५ [२],६७२[४,६], १२६४ [२], १२६७, १२७० [२], १२८०, वासपडागा (१) सर्पभेदः पृ. ३२ टि. ६ १२९४, १२९७, १२९८, १७१० वास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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