Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 815
________________ २९८ मूलसद्दो पण्णवणासुत्तपरिसिट्टाई सक्कयत्थो सुत्तंकाइ । मूलसद्दो भाग ९३, ४४०, ४४३, . भागाओ सक्यत्यो भागात् भाग सुत्तंकाइ १९८ [१], ९९२ [२] भागभागभागसहस्साई • भागातो ० भागे ०भागं ,,६७७,६७९, ९१०[४] भागाः १७२८ भागसहस्राणि १८१७, १८२० भागम् २११, ६०५, १३०५, १३०८, १३६५, १३८७, १४७२, १५०२, १५०४ [१], १५०६ [१-५], १५०७ [१२], १५१३ [१.४], १५.२७, १५२८, १५२९ [१-३, ९], १५३०, १५३१, १५.३२ [१,५.६], १५४७ [१],१५५१[१, ४, ६], १७०८ [७], १७१३, १७३० [१], १७३१ [३-४], १८०३, १९९४, १९९५, १९९८,२००६, २१५६ [१],२१५९ [१], २१६०, २१६५, २१६६ [१],पृ. ४४१ टि. १ भागाः १७२१, १७२५, १७३३ ,, १६९७ [१], १६९९ [२], १७०० [४], १७०२ [६,८,१८.२१, २५-२७, ___४५], १७११ [२] भागौ १७०० [११,१३], १७०२ [१, ५, ९, ११, १३, २२, ३६, ३७, ४३, ४८, ५८], १७०८ [८] भागान् १७१५ भागानि १७७, १७८ [१], १८८ • भागेण . भागेणं भागः २११ भागान् १७०५, १७०८ [४],१७११[२],१७२५. भागौ १७३१ [१,५] भागे १४८, १४९,१५१, १५२,१५४,१५५,१६०, १६, १६३तः १७८ [१], १७९ [१],१८१ [१], १८२ [१], १८४ [१], १८५ [१], १८८, १८९ [१], १९० [१], १९३ [१], १९५ [१], १९६, १९७ [१], १९८ [१], १९९ [१], २० [१], २०६ [१], २०७, २०८, २१० भागेन १७१०, १७२३ ,, १६९८ [१], १६९९ [२], १७०० [२,४,९, ११,१२,१३], १७०२ [१,३-६,८,९, ११,१३, १८-२२, २४.२७, ३६ ३९,४३,४५], १७०५, १७०७ [१], १७०८ [२,४,७-८], १७११ [२], १७१२, १७१३, १७१५,१७१५,१७१८, १७२१, १७२२, १७२५, १७२७ तः १७२९, १७३१ [१, ३.५] भागेषु १५७, १५.८ भागः ९१२ [२], ९१४ [१], ९१८ [१], ९२०, १२८८, १५४५, १७१२ भागा ०भागा भागेसु भागो .भागा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934