Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३०६
मूलसो
मणुण्णा माई मणुयअसण्ण
माए
मणुस्स
मणुस्स ० • मणुस्सखेत्ते
आउए १४७३ मणुयगतिणामाए मनुजगतिनाम्नः १७०२ [3], १७११ [9],
१७३१ [३] मनुजगतिनाम १६९४ [१]
मणुयगतिणामे
मणुयगतिपरिणामे मनुजगतिपरिणामः ९२७ मणुयगतिया मनुजगतिकाः ९४३ मणुयगती मनुजगतिः ५६२, ५६७ मणुयजोणिएहिंतो मनुजयोनिकेभ्यः ६५० [१]
मणुया
मणुस्सरुहिरे
मणुस्सस्स
मणुस्सा
Recet
सुकाइ
मनोज्ञानि १६८१ [१]
२०५२ [२]
39
० मणुस्सा
मणुयाउअस्स
मणुयाउए
मणुयाउयं मणुयाणुपुव्विणा- मनुजानुपूर्विनाम्नः
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मनुजा संइयायुकम्
पण्णवणासुत्त परिसिट्ठाई
मूलसद्दो
मणुस्सा उभस्स
मनुजाः ६४७ गा. १८४,
१९७३ गा. २२०,
१९८० गा. २२१
मनुजायुषः
मनुजायुः
१७१९
१६८३
मनुजायुष्कम् १४७२
मनुष्य
23
मनुष्यक्षेत्रे
• मणुस्सखेत्तोव - मनुष्यक्षेत्रोपपातगतिः वायगई
मणुस पंचेंद्रिय मनुष्य पञ्चेन्द्रियौदारिक
ओरालियसरीरे शरीरम्
१७०२ [३८]
६४८
५९, ६७१
८२, ९३, १५४, १७६
१०९६
१४८२
१२२९
मनुष्यस्य
४५२
मनुष्याः ९२, १३८, २१९, २२५, २२६, २८०, ३३४,४३९,६११,६२१, ६५६ [१], ६७३ [१], ७३३, ८५०, ८७६, ९४३, २०३६, २१४६ मनुष्याः ९२, ९३, ५८५, १४०४, पृ. १०९ टि. १
मनुष्यरुधिरम्
मणुस्सा उयस्स मणुस्साण
• मणुस्साण
मणुस्साणं
०
• मणुस्साणं
मणुस्सी
मणुसीओ
मणुस्सीण
मणुस्सीणं
मस्से
मणुस्से
मणुस्सेसु मस्से हिं मणुस्सेहिंतो
०
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सक्कत्थो
मनुष्यायुषः
सुतंकाइ
१७१०,
१७२६, १७३०[३]
१७२३
मनुष्याणाम् ६५६ [३]
,, ७६०, ७६१, ७६९,
"
७७०
,, १७६, २२५, २२६, ३९० [१], ४५२, ४८९ [१], ४९० [१], ४९१ [१], ४९३ [१], ४९५ [१], ४९७, ७३५,
७४८, ९२१ [9], १०५० [१], ११६४ [१], १९२६, २१३१, पृ. ७९ टि. २, पृ.४३३
टि. १
मनुष्याणाम् ९३, ३९० [२-३], ३९१, ३९२ [१-३], ५८६, ७४९, ११६४ [२], १२५७ [१३-१४], २०८५ गा. २२७
७५०,
मानुषी ८५१, १७४५,
१७४९, १७५२
मानुष्यः २२६, २८१, ३३४
मानुषीणाम् १२५७[६] ,, २२६, ११६४ [४] मनुष्यः ४५२,४९० [१], ४९५ [१], ८४९,८५२,
१२५८ [७] मनुष्येषु६६६ [१],६६७, ६६८ [१], ६७२ [५]
६७२ [५]
९२१ [१] ६३९
[१, २३], ६४५ [३],
""
मनुष्यैः मनुष्येभ्यः
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