Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 820
________________ मूलसो म अण्णाणी 33 • मइअण्णाणी मइअण्णाणीणं मउड मउड ० • मउडा • उडे मउय मउय ० मउयल हुयगुणा मउल मउलिणो • मउली • मउली सक्कत्थो मउयफास० मउयफासपरिणता मृदुकस्पर्शपरिणताः मउलीमउडा मगदंतिया ८[४],९[१-५],१० [१-२], ११ [१५], १२ [ २-८], १३ [१-५] मृदुकलघुकगुणाः [9], ९८२, ९८५ [८-९], ९८७ [३-४] ९८१ • मउयल हुयगुणाण मृदुकलघुकगुणानाम् ९८७ मयल हुयगुणाणं Jain Education International म मत्यज्ञानी ४८८, १३५२, १८९९ [१] मत्यज्ञानिनः २५८, २५९ मत्यज्ञानी ४७० [३] मत्यज्ञानिनाम् २५८ मुकुट १७७, १९६ १९६ 33 मुकुटाः १७७, १९५ [१], १९६ मुकुटः १९७ [२] मृदुक- स्पर्शविशेष ३३३, १८०९ ,, ५४६, १८०६ [१] मृदुकस्पर्श ४४०, ४४१ " बीयं परिसिहं - सद्दाणुकमो सुतंकाइ मूलसद्दो मग मिकी डे [४] ९८२, ९८५ [९], ९८७ [४] १८८ मुकुट मुकुलिनः - सर्पभेदः ७८, ८०, पृ. ३२ टि. ५ ور मौली मौलयः १७८ [२] १७८ [१], १८८, १९६ मौलिमुकुटाः १७७ मगदन्तिका -गुल्मवन स्पतिः ४३ गा. २५. मगर मगरा मगरमच्छा मगसा मगसिर की डे + मगह मगासकी डे मगूसाण ० मग्गणं मग्गर मग्गरिमच्छा मग्गिज्जइ मग्गुसा मघमघेंत मघवं मच्छंडिया मच्छा मच्छिय मच्छिताओ मच्छिंडिया + मज्जार मज्जारय मज्झ For Private & Personal Use Only ३०३ सुतंकाइ Rece चतुरिन्द्रियजीवः ५८ [१] गा. ११० मकर १७७ मकराः ६२, ६६ मकरी मत्स्याः पृ. २९टि. ६ चतुरिन्द्रियजीवाः पृ. २८ टि. ८ चतुरिन्द्रियजीवः पृ. २८ टि. ८ मगधेषु १०२ गा. ११२ चतुरिन्द्रियजीवः पृ. २८ टि. ८ (?) ८८६ मार्गणम् १७९८ [१], १८०० [१] म्लेच्छजातिविशेष पृ. ३६ टि. १६ ६३ ९२१ [१] मकरमत्स्याः मृग्यते नकुलाः पृ. ३३ टि. ३ मघमघायमान १७७, १७८ [१], १८८ मघवा १९७ [२] मत्स्यण्डिका - शर्करा विशेषः १२३८ मत्स्याः ६२, ६३, ६४७ गा. १८४ मक्षिका ५८ [१]गा. ११० मक्षिकापत्रतः २११ मत्स्यण्डिका पृ. २९७टि. २ मार्जारः - हरिद्वनस्पतिः ४९ गा. ३९ मार्जारक " पृ. २० टि. १४ मध्य ५५ [३] गा. १०८, १९७ [१], १९८ [१], १९९ [१], २०६ [१] www.jainelibrary.org

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