Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२७२
पण्णवणासुत्तपरिसिट्टाई मूलसहो सक्कयत्थो सुत्तंकाइ | मूलसद्दो • पुढविक्काइए पृथ्वीकायिकः १३०१, पुढविक्काइयाणं
१३०६, १४३५ पुढविक्काइएणं पृथ्वीकायिकेन १००५ पुढविक्काइएसु पृथ्वीकायिकेषु १२०३
[१,३], १२१० [१],
१४२५[१], १४२८[१] पुढविक्काइएहितो पृथ्वीकायिकेभ्यः १४२८
पुढविं
पुढवी
सक्कयत्थो सुत्तंकाइ पृथ्वीकायिकानाम् ९०४, ९१६ [२], १०७२, ११६०, ११७४, १४०२, १७५९ [१], १८०८, १८१५, १८५५, १९१६ तः १९१८, १९३१, १९४४, १९४५, १९५७ [१], १९६८, २०८०, २०९१ [१], २१२८
[१], २१४५ [१] पृथ्वीम् ६४७ गा. १८३.१८४, १९६३,
१९६४ पृथ्वी २४ गा. ८,२११, ७७५, ७७६, १५४८,
१५५१ [१] , पृ. २४ टि. १
, ८५४ तः ८५६ पृथिव्याः १६८ तः १७४, १७७, १७८ तः १८४ सूत्राणां प्रथमकण्डिका, १८८, १८९ [१], १९० [१], १९३ [१], १९५ [१], १९६, १९७ [१], १९८ [१], २१०, २११, २१७ [१६], ७७७, १५५१ [१], १९९८, २०००, २००२ तः
२००६ पृथिव्याम् ३३४, २०५७
पुढविक्काइओ पृथ्वीकायिकः १४२९ पुढविक्काइय पृथ्वीकायिक १३१५,
१५३७ पुढविक्काइय.
१०३२ [१], १२९४, १३०३, १४३१
[१], १५८९ [३] पुढविक्काइयएगिं- पृथ्वीकायिकैकेदियओरालिय- न्द्रियौदारिकशरीरस्य
पुढवी. सरीरस्स
१५०४ [१]
पुढवीपुढविक्काइयए- पृथ्वीकायिकैके.
पुढवीए गिदियओरालिय-न्द्रियौदारिकशरीरम्
१४७७, १४७८ [१],
१४९० [१], १५४२
, १४७८ [१-२] पुढविक्काइयत्ते पृथ्वीकायिकत्वे २११३ पुढविक्काइयस्स पृथ्वीकायिकस्य १६३५
[३], २११२, २११३ पुढविक्काइया पृथ्वीकायिकाः ११३७ तः
११३९, १२०५, १४०२, १४१६ [१], १४७८ [३], १८०९ तः १८१२, १९३१, १९५७ [१], २०३५, २०८०, २१२८
• पुढवीए [१], २१४५ [१] पुढविक्काइयाओ पृथ्वीकायिकात् पृ. ३५३
पुढवीओ
टि. १ पुढवीसु पुढविक्काइयाण पृथ्वीकायिकानाम् ११९५ | • पुढवीसु • पुढविक्काइयाण , १४९० [२] | पुढवीहिंतो
सरीरे
पृथिव्याः पृथिव्यः पृथ्वीषु
पृ. १४ टि. १
७७४ १४८, १६५
पृथ्वीभ्याम्
१४६५
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