Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सक्कयत्थो
बली
बीयं परिसिटुं- सदाणुक्कमो मूलसद्दो
सुत्तंकाइ मूलसहो बलिः - असुरकुमारेन्द्रः बहुयं
१८० [२] बहुया बहलतरी बहलतरा ५४ [५] गा.
___ ७६ तः ७९ बहलिय बहलीक - म्लेच्छजातिविशेष
९८ बहवे
बहवः १६७ तः १७४, १७७, १७८ [१], १७९ [१], १८१ [१], १८२ [१], १८४ [१], १८५ [१], १८६ [१], १८८, १८९ [१], १९० [१], बहुयाणं १९३ [१], १९५ [१], १९६, १९७ [१], १९९ ०बहुला [१], २०५ [१], २०६ बहुवत्तव्वयपयं
[१], २०७,२०८,२१० बहस्सती
बृहस्पतयः - बृहस्पति- बहुवत्तव्वं
निकाय देवाः १९५ [१] बहिं
बहिः १९५ [१] बहुवयू बहुएहिं बहुभिः ५३ गा. ४६ बहुविहं बहुगीमो बह्वीः १९६, १९७ [१], बहुविहे
१९९ [१], २०० [१], बहुसम.
२०२ [१], २१० बहुतरयं बहुतरकम् पृ. २९.टि.१ बहुतराए बहुतरान् ११२४,
११४२
बहूई बहुतरकम् १२१५ [२-३] ० बहुपएसे बहुप्रदेशम् २१७० [१] ० बहुप्पएसे बहुप्रदेशम् २१७० [१]
बहूण बहुबीयगा बहुबीजकाः ३९,४१
बहूणं बहुबीजकानि पृ. १८ टि.१ बहुबीया बहुबीजानि ४१ बहुमज्झदेसभाए बहुमध्यदेशभागे १९८
[१], २०६ [१], २११ बहुमज्झदेसभागे बहुमध्यदेशभागे१९७[१],.
१९९ [१] बहेलए बहुयतरागा बहुकतरकाः २०५७[३-४] बंध
बहुवयणे
सक्कयत्थो सुत्तंकाइ बहुकम् १२१५ [१] बहुकाः २२५ तः २७२ [५], २७३ तः २७५, ३२५, ३३० तः ३३३, ६९१, ७३१, ७३३, ७३५, ७३७, ७५३, ७६३, ७७२, ७७७, ७७९, ७८०, ९८५ [७,९], ११८५, २१२५,
२१२६ बहुकानि बहुकानाम् ५४ [१०] गा.
१०० बहुलाः १८८ बहुवक्तव्यतापदम् पृ.१११
पं. २१ बहुवक्तव्यम् २ गा. ४ बहुवचनम् बहुवाक् बहुविधम् १२४२ बहुविधान् २११ गा.१७४ बहुसम १९५[१], १९६, १९८ [१], २१०,२२३, [९], १२१५ [१-३] बहुम् १२४२ बहूनि १९६, १९७ तः २०२ सूत्राणां प्रथम
कण्डिका, २१० बहूनाम्५४[१०]गा.१०० ,, १४७, १७८ [१-२], १७९ [२]. १८० [२], १८२ [२], १८८, १९० [२], १९५ तः १९७, १९८ [२], २०१ [२], २०२ [२], २०५ [२] बहूनि १९७ [१] बिभीतकः पृ.१७ टि. ५ बन्ध ९७१ गा. २०१
८५०
बहुतरागं
बहूणि
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